Parle G : तोड़ा बिक्री का 82 साल का रिकॉर्ड

Lockdown 5.0 : संकट में आया सेवा के काम, प्रवासी मजदूरों की भूख मिटाने का बना ज़रिया

Publish: Jun 10, 2020, 09:01 PM IST

बिस्कुट का सबसे मशहूर माने जाने वाला ब्रांड पारले जी ने बिक्री के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। लॉक डाउन के दौरान पारले जी की बंपर बिक्री हुई है। 1938 में स्थापित हुई बिस्कुट की इस कम्पनी ने कमाई का 82 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है। इस कारण पारले प्रोडक्ट्स कम्पनी का मार्केट शेयर भी 5 फीसदी बढ़ गया है। इसमें कम से कम 80 फीसदी ग्रोथ होने की वजह पारले जी की बिक्री को माना जा रहा है।

कोरोना द्वारा जनित विषम परिस्थितियों में एक तरफ जहां बड़ी बड़ी कंपनियां नुकसान झेलने को मजबूर हैं, अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है। तो वहीं  पारले जी की कमाई ना सिर्फ बढ़ रही है बल्कि अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गई है। दरअसल लॉकडाउन की वजह से विभिन्न राज्यों में फंसे लाखों की संख्या में मज़दूरों का हुजूम अपने अपने-अपने राज्यों को वापस लौटना शुरू हुआ तब पारले जी बिस्कुट ही मज़दूरों और प्रवासियों के रास्ते का सहारा बना। पैदल जा रहे मज़दूरों के लिए पारले जी ने भूख मिटाने का काम किया। जिससे पारले जी की सेल व्यापक स्तर पर बढ़ी। अर्थशास्त्र का सिद्धांत कहता है, मांग के बढ़ने पर उत्पादन बढ़ता है। इसी तर्ज़ पर पारले जी की बिक्री भी खूब हुई। और इतनी हुई की बिस्कुट कम्पनी ने रिकॉर्ड ही बना डाला।

जो रोटी नहीं खरीद सके उन्होंने बिस्कुट से भूख मिटाई

पारले जी के अलावा, ब्रिटानिया के बिस्कुट भी खूब बिके। गुड डे, मारी गोल्ड, बॉबॉर्न, क्रैकजैक और मिक्स बिकिस, पारले मोनाको आदि ने भी अच्छी कमाई की। पारले जी के कैटेगरी हेड मयंक शाह का कहना है कि जो रोटी नहीं खरीद सकते थे, उन्होंने बिस्कुट से अपनी भूख मिटाई। यह आम आदमी का बिस्कुट बना क्योंकि इसकी कीमत कम है।  उन्होंने कहा कि कई सरकारें और एनजीओज की तरफ से इस लॉकडाउन के दौरान उन्हें बड़े बड़े ऑर्डर्स मिले।

शाह का दावा है कि पारले जी अपनी 130 फेक्ट्रियों में हर दिन 40 करोड़ बिस्कुट बनाता है और एक किलो बिस्कुट की कीमत १०० रूपये से भी कम यानी सिर्फ 77 रूपये है। 

ऐसे बढ़ी पारले जी का सेल

ज़ाहिर है पारले जी कोरोना की इस संकट भरी घड़ी में जरुरतमंदों का वरदान तो ज़रूरत पहुंचाने वालों के लिए हथियार बन गया, ऐसे में पारले जी की सेल बढ़नी तो लाज़िमी था ही। लेकिन बिक्री बढ़ने में योगदान केवल पारले जी के सस्ते दाम या स्वाद का नहीं था। इसके पीछे पारले कम्पनी का एक पूरा मैनेजमेंट दिन रात लगा हुआ था। दरसअल पारले ने लॉकडाउन के लागू होते ही और उससे पहले भी अपनी तैयारियां शुरू कर दी थी। लॉकडाउन के दौरान पारले कम्पनी ने अपने सभी कर्मचारियों को घर से कार्यस्थल तक आने - जाने दोनों ही व्यवस्था एकदम दुरुस्त कर रखी थी। कम्पनी को पता था कि अब उसके बिस्कुट की मांग परवान चढ़ने वाली है। और ऐसा हुआ भी। न सिर्फ बिस्कुट की मांग बढ़ी बल्कि बिस्कुट ने बिक्री के मामले में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।