कोरोना मरीजोंं का मुफ्त इलाज करने वाले निजी अस्पतालों की पहचान करे सरकार

एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह आदेश दिया है.

Publish: May 28, 2020, 06:46 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा कि वह उन निजी अस्पतालों की पहचान करे, जो कोविड-19 के मरीजों का मुफ्त या कम खर्च में इलाज कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे निजी अस्पताल हैं जिन्हें मुफ्त या बेहद कम दामों पर जमीन दी गई है और उन्हें कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीजों का मुफ्त में इलाज करना चाहिए। चीफ जस्टिस एसए बोबेडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश राय की पीठ ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें देश के निजी अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के इलाज के खर्च को नियंत्रित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया

पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘‘आप उन सभी अस्पतालों की पहचान करके पता लगायें। उन्हें या तो मुफ्त या फिर नाममात्र की कीमत पर भूमि आबंटित की गई है। इन धर्मार्थ अस्पतालों को मरीजों का नि:शुल्क इलाज करना चाहिए।’’

केन्द्र सरकार की ओर से मेहता ने पीठ से कहा कि यह नीतिगत मामला होने के कारण इस पर सरकार को ही निर्णय लेना होगा। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में अपना जवाब दाखिल करेंगे। इस मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को अधिवक्ता सचिन जैन की याचिका पर केन्द्र सरकार से जवाब मांगा था। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि निजी अस्पताल संकट की इस घड़ी में कोविड-19 से संक्रमित मरीजों का व्यावसायिक तरीके से शोषण कर रहे हैं।

याचिका में कहा गया है कि सरकार को उन निजी अस्पतालों, जिन्हें रियायती दर पर सार्वजनिक भूमि दी गई है या जो धर्मार्थ अस्पतालों की श्रेणी में आते हैं, उन्हें कोविड-19 के मरीजों का जनसेवा के रूप में या बगैर किसी नफे नुकसान के आधार पर इलाज करने का आदेश देना चाहिए।

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याचिका में ऐसे निजी अस्पतालों में कोविड-19 से संक्रमित गरीब और बगैर किसी स्वास्थ्य बीमा वाले मरीजों और सरकार की आयुष्मान भारत जैसी योजना के दायरे में नहीं आने वाले मरीजों के इलाज का खर्च सरकार को वहन करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

याचिका के अनुसार आपदा प्रबंधन कानून के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुये केन्द्र ने जिस तरह निजी अस्पतालों में कोविड-19 से संक्रमित मरीजों की जांच की कीमत को नियंत्रित किया है, ठीक उसी तरह उसे इस महामारी से प्रभावित मरीजों के उपचार पर होने वाले खर्च को भी नियंत्रित करना चाहिए।