Supreme Court ने पूछा मजदूरों के 20 हज़ार करोड़ रुपए कहां गए

सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 12 जून तक के लिए टाल दी है। 

Publish: Jun 05, 2020, 04:38 AM IST

सुप्रीम कोर्ट में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को लेकर आज हुई सुनवाई को 12 जून तक के लिए टाल दिया गया है। लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में मज़दूर मेहनताना न मिलने और आर्थिक तंगी की वजह से अपने राज्य पलायन करने पर मजबूर हो गए थे। ऐसे में मज़दूरों के वेतन भुगतान के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई उच्चतम न्यायालय ने 12 जून तक के लिए टाल दी है।  सुप्रीम कोर्ट में मामले कि सुनवाई कुछ इस प्रकार चली :

सरकार मज़दूरों और कम्पनियों के बीच में हस्तक्षेप नहीं कर सकती : वेणुगोपाल

कोर्ट में सुनवाई के दौरान जब जस्टिस कौल ने सरकार से मज़दूरों के वेतन रोकने वाली कम्पनियों पर सवाल किया तो केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि मज़दूरों को वेतन देने या न देने का मामला कामगार और कम्पनी के बीच का मामला है। इसमें सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता।

कोर्ट ने पूछा 20 हज़ार करोड़ कहां हैं ?

वेणुगोपाल के मज़दूरों और कम्पनियों के बीच हस्तक्षेप न करने वाली दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि तो फिर वो बीस हज़ार करोड़ रुपए कहां गए जिसका आप मज़दूरों के खाते में डालने का दावा कर रहे हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बीस लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। पैकेज में मज़दूरों के लिए सरकार ने 20 हज़ार करोड़ रुपए की घोषणा की थी।

हमें सरकार के लिए सर्टिफिकेट नहीं चाहिए : कोर्ट

कोर्ट द्वारा 20 हज़ार करोड़ रुपए का हिसाब मांगा गया तब इसके जवाब में वेणुगोपाल ने कहा कि हम यह रकम सूक्ष्म, लघु और मंझोले उद्योगों की मदद के लिए लेकर आए हैं।जिसमें सरकार ने ज़बरदस्त काम भी किया है। इसपर जस्टिस कौल ने भड़कते हुए कहा कि हम आपसे सवाल का जवाब चाहते हैं न कि सरकार के लिए सर्टिफिकेट चाहिए। फिलहाल कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई टाल दी है। अगली सुनवाई 12 जून को होगी।