Supreme Court : Lockdown में वेतन देने पर कं‍पनियों को राहत

लॉकडाउन में कर्मचारियों को वेतन भुगतान नहीं करने पर पर निजी कंपनियों के खिलाफ नहीं होगी दंडात्मक कार्रवाई

Publish: Jun 13, 2020, 02:06 AM IST

सुप्रीम कोर्ट में लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार द्वारा कर्मचारियों को पूरा वेतन भुगतान करने के आदेश से निजी कंपनियों को राहत दी है। इस आदेश के खिलाफ दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए निजी कम्पनियों को कर्मचारियों के साथ आपस में ही वेतन भुगतान की समस्या सुलझाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के श्रम विभाग की सहायता से वेतन भुगतान की समस्या सुलझाने के लिए कहा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में चार हफ्तों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। तब तक कम्पनियों के ऊपर किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।

गौरतलब है कि 29 मार्च को गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई अधिसूचना में सरकार ने निजी कम्पनियों को उनके कम्पनी में कार्यरत प्रत्येक कर्मचारी को पूर्ण वेतन भुगतान करने के आदेश दिए थे। अपनी अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने कहा था कि लॉकडाउन के दौरान किसी भी कर्मचारी के वेतन में कटौती नहीं की जा सकेगी। लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी की कगार पर पहुंचने वाली कम्पनियों ने सरकार के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने निजी कम्पनियों को राहत देते हुए सुनवाई पूरी होने तक कम्पनियों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है।

कर्मचारी और कम्पनी आपस में समस्या सुलझाएं, श्रम विभाग की लें मदद

आज हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कम्पनियों को अपने अपने कर्मचारियों के साथ वेतन भुगतान को लेकर उपजी समस्या आपसी बातचीत के ज़रिए सुलझाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए कोर्ट ने कम्पनियों को कर्मचारियों के साथ समस्या सुलझाने के लिए श्रम विभाग की मदद लेने के लिए कहा है।

सरकार से मांगी विस्तृत रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार से इस मामले पर चार हफ्तों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा है। तब तक के लिए कोर्ट ने कम्पनियों के ऊपर कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए मना कर दिया। गौरतलब है कि सरकार ने 4 जून को हुई पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि सरकार ने कर्मचारियों को पूरा वेतन भुगतान करने का आदेश लॉक डाउन के दौरान कर्मचारियों के मूवमेंट को रोकने के लिए दिया था। कम्पनियों ने अपनी याचिका में कहा था कि आर्थिक तंगी के कारण वे कर्मचारियों को पूरा वेतन भुगतान करने की स्थिति में नहीं है।