स्पाई बैलून के बाद 40 हजार फीट की ऊंचाई पर दिखी संदिग्ध वस्तु, अमेरिकी जेट ने मार गिराया

नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि जिस समय इस ऑब्जेक्ट का मार गिराया गया, उस समय ये 40 हजार फीट की ऊंचाई पर था। हालांकि, ये कहां से आया और इसका मकसद क्या था, इसकी अभी स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है।

Updated: Feb 11, 2023, 03:39 AM IST

वाशिंगटन। चीन के जासूसी बैलून का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अमेरिका ने एक और फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को मार गिराया है। इसकी जानकारी व्हाइट हाउस की तरफ से दी गई है। नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया कि जिस समय इस ऑब्जेक्ट का मारा गिराया गया, उस समय ये अलास्का में 40 हजार फीट की ऊंचाई पर था। हालांकि, ये कहां से आया और इसका मकसद क्या था, इसकी अभी स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है।

किर्बी ने कहा, 'राष्ट्रपति ने सेना को उक्त वस्तु को गिराने का आदेश दिया था। इसे नीचे गिराया गया क्योंकि 40,000 फीट पर उड़ते हुए ये नागरिक उड्डयन के लिए खतरा था।' किर्बी ने बताया कि वस्तु उस विशाल चीनी गुब्बारे से बहुत छोटी थी, जो पिछले सप्ताह अटलांटिक तट से अमेरिकी लड़ाकू जेट द्वारा गिराया गया था। उन्होंने कहा कि, 'यह लगभग एक छोटी कार के आकार का था। हम नहीं जानते कि इसका मालिक कौन है, चाहे राज्य के स्वामित्व में हो या कॉर्पोरेट के स्वामित्व में। हम पूरा उद्देश्य नहीं समझ पा रहे हैं।'

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व्हाइट हाउस में पत्रकारों द्वारा इस घटना के बारे में पूछे जाने पर बाइडेन ने कहा कि शूट-डाउन सफल रहा। पेंटागन के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने कहा कि एक F-22 रैप्टर ने वस्तु को नीचे लाने के लिए AIM-9X मिसाइल का इस्तेमाल किया। ये वही विमान और गोला-बारूद है, जिसका कथित चीनी जासूसी गुब्बारे को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

इससे पहले अमेरिका के मोंटाना शहर में 1 फरवरी को नजर आए चीनी स्पाई बैलून को अमेरिकी वायुसेना ने 5 फरवरी को मार गिराया था। चीन ने इसे एक सिविल बैलून बताया था, जबकि अमेरिका ने दावा किया था कि ये एक स्पाई बैलून है, जिसे जासूसी के लिए भेजा गया था। बैलून दिखने के बाद अमेरिका के फॉरेन मिनिस्टर ने अपनी चीन का दौरा रद्द कर दिया था।

अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसी ने पिछले बुधवार को दावा किया था कि स्पाई बैलून के जरिए चीन दुनियाभर के देशों की मिलिट्री साइट्स पर नजर रख रहा है। एजेंसी के मुताबिक, चीन ने ऐसे गुब्बारों के जरिए जिन देशों की जासूसी कराई, उनमें भारत भी शामिल है। इसके बाद अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है।