किसानों के हक़ में मोदी पर दबाव बनाएं जॉनसन, सौ ब्रिटिश सांसदों ने अपने पीएम को लिखा पत्र

ब्रिटेन के 100 सांसदों ने भारत के किसान आंदोलन के पक्ष में अपने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को चिट्ठी लिखी है, सांसदों का मानना है कि जॉनसन को किसानों के मानवाधिकार की रक्षा के लिए मोदी पर दबाव बनाना चाहिए

Updated: Jan 11, 2021, 10:16 AM IST

Photo Courtesy: CNN
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नई दिल्ली। भारत में चल रहे किसान आंदोलन की धमक इंगलैंड तक सुनाई दे रही है। ब्रिटेन के एक दो नहीं पूरे सौ सांसदों ने अपने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को भारत के किसानों के समर्थन में चिट्ठी लिखी है। इस पत्र में ब्रिटिश सांसदों ने अपने प्रधानमंत्री से मांग की है कि वे भारत में आंदोलन कर रहे किसानों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करके उन पर दबाव बनाएं। 

दरअसल बोरिस जॉनसन को ब्रिटेन के 100 सांसदों ने यह पत्र 5 जनवरी को लिखा था। इसे सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने बीते शुक्रवार अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किया था। पत्र में कहा गया है कि भारतीय किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर वॉटर कैनन और आंसू गैस के गोलों की बौछार की जा रही है। जो कि स्पष्ट रूप से किसानों के मानवाधिकार का उल्लंघन है। पत्र में कहा गया है कि भारत में चल रहे घटनाक्रम ने इंगलैंड में रहने वाले प्रवासी भारतीय समुदाय खासकर कृषि से जुड़े लोगों को इस कदर आंदोलित कर दिया है कि हजारों की संख्या में लोग आंदोलन में शामिल हो गए हैं। सांसदों ने कहा है कि किसानों के समर्थन और भारत सरकार के रवैए के विरूद्ध ब्रिटेन के कई शहरों और कस्बों में भी विरोध शुरू हो गया है। 

विदेश मंत्री नाकाम साबित हुए 

ब्रिटिश सांसदों ने बोरिस जॉनसन को लिखे अपने पत्र में कहा है कि ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने कहा था कि वे भारतीय किसानों की समस्या के बारे में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पर दबाव बनाएंगे। इसके लिए सांसदों ने विदेश मंत्री को पत्र भी लिखा था, जिसके बाद विदेश मंत्री ने आश्वासन भी दिया। लेकिन जब दिसंबर महीने में वे भारत के दौरे पर गए, तब प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करने के बावजूद वे किसानों के मुद्दे पर दबाव नहीं बना सके।

किसानों के मुद्दे पर गलतफहमी का शिकार हैं जॉनसन : सांसद

ब्रिटिश सांसदों द्वारा लिखे पत्र में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री जॉनसन ने भारत में चल रहे पूरे किसान आंदोलन को गलत समझा है। वे इस मामले में गलतफहमी का शिकार हैं। पत्र के मुताबिक 9 दिसंबर को संसद में सांसद टी सोढ़ी द्वारा किसान आंदोलन के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में बोरिस जॉनसन ने कहा था कि यह मामला भारत और पाकिस्तान का बीच है। लिहाज़ा इससे दोनों देशों की सरकारों को निपटना है। इससे साफ है कि जॉनसन को भारत के किसान आंदोलन के बारे में पूरी और सही जानकारी नहीं है। 

लेकिन सांसदों ने अब बोरिस जॉनसन को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए साफ तौर पर कह दिया है। सांसदों का कहना है कि प्रधानमंत्री जॉनसन को अब साफ करना होगा कि वे इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे या नहीं ? वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों के मौलिक अधिकारों को लेकर अपनी आवाज़ बुलंद करेंगे या नहीं ? सांसदों ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि जॉनसन उनकी और उनके मतदाताओं की बात को आगे पहुंचाएंगे।

हाल ही में किसान नेताओं ने इंगलैंड में रहने वाले प्रवासी भारतीयों और सांसदों से अपील की थी कि वे सभी मिलकर गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बोरिस जॉनसन को भारत आने से रोकें और कहें कि जब तक भारतीय किसानों की बात मोदी सरकार मान नहीं लेती है तब तक बोरिस जॉनसन भारत के दौरे पर न आएं। हालांकि बोरिस जॉनसन ने गणतंत्र दिवस पर भारत आने का कार्यक्रम रद्द कर दिया है, लेकिन इसकी वजह किसान आंदोलन नहीं है। ज़ॉनसन की यात्रा रद्द होने के लिए ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के सामने आने के बाद महामारी के तेज़ी से फैलने को जिम्मेदार बताया गया है।