वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया मचाडो को मिला नोबेल पीस प्राइज अवॉर्ड, 20 साल से लोकतंत्र के लिए लड़ रहीं हैं लड़ाई

वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला। उन्हें तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव लाने और लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए सम्मानित किया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बार पुरस्कार जीतने में असफल रहे।

Publish: Oct 10, 2025, 04:28 PM IST

स्कॉटहोम। इस साल का नोबेल पीस प्राइज से वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को नवाजा गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस बार शांति पुरस्कार के लिए दावेदारी कर रहे थे लेकिन वह ये पुरस्कार जीतने में असफल रहे। मचाडो को यह सम्मान उनके लगातार संघर्ष के लिए मिला, जिसमें उन्होंने वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा दिया और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव लाने का काम किया।

नोबेल समिति ने मचाडो को “अंधकार के बीच लोकतंत्र की लौ” कहा और बताया कि उन्होंने दिखाया कि लोकतंत्र ही शांति का असली रास्ता है। समिति ने कहा कि मचाडो एक ऐसे भविष्य की उम्मीद हैं जहां नागरिकों के मूल अधिकार सुरक्षित हों। जहां उनकी आवाज सुनी जाए और लोग स्वतंत्र और शांतिपूर्ण जीवन जी सकें। समिति के अनुसार ऐसे समय में जब दुनिया में कई देशों में तानाशाही बढ़ रही है और लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, मचाडो जैसे लोगों की हिम्मत और प्रतिबद्धता लोगों में उम्मीद जगाती है।

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नोबेल समिति ने कहा कि मचाडो ने नोबेल पुरस्कार के तीन मापदंड पूरे किए हैं। उन्होंने विपक्ष को एकजुट किया, सैन्यकरण के खिलाफ खड़ी रहीं और लोकतंत्र को मजबूत किया। इसके अलावा उन्होंने लोकतंत्र में ऐसे भविष्य की उम्मीद जगाई जहां नागरिकों के मूल अधिकार सुरक्षित हों। उन्होंने पूरे देश में लोगों को एकजुट किया ताकि वे राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को चुनाव में हरा सकें। इसी कारण मचाडो को वेनेजुएला की 'आयरन लेडी' कहा जाता है। इसके बावजूद, अब वे देश में छिपकर रह रही हैं।

कौन हैं मारिया मचाडो?
मारिया मचाडो का जन्म 7 अक्टूबर 1967 को वेनेजुएला में हुआ था। वह एक इंडस्ट्रियल इंजीनियर और प्रमुख राजनीतिक नेता हैं। साल 2002 में उन्होंने सूमाते नामक वोट निगरानी संगठन की स्थापना की थी और बाद में वेंटे वेनेज़ुएला पार्टी की राष्ट्रीय समन्वयक बनीं। साल 2011 से 2014 तक वह वेनेजुएला की नेशनल असेंबली की सदस्य रहीं थी। वहीं, साल 2018 में उन्हें बीबीसी की 100 प्रभावशाली महिलाओं और 2025 में टाइम मैगजीन की 100 प्रभावशाली व्यक्तियों में भी शामिल किया गया था। 

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साल 2023 में मचाडो ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी प्राथमिक चुनाव जीत लिया था। लेकिन बाद में उनकी जगह कोरिना योरिस को उम्मीदवार बनाया गया। इसके बाद उन्होंने दूसरे पार्टी के उम्मीदवार एडमंडो गोंजालेज उर्रुतिया का समर्थन किया। इस समर्थन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली थी। हालांकि, वेनेजुएला में मचाडो के समर्थक पार्टी ने चुनाव में जीत दर्ज की, लेकिन शासन ने परिणाम स्वीकार नहीं किया और सत्ता पर कब्जा बनाए रखा। मचाडो को कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं। 2024 में उन्हें और एडमंडो गोंजालेज को सखारोव से सम्मानित किया जा चुका है। 2024 में वाच्लाव हावेल मानवाधिकार पुरस्कार से काउंसिल ऑफ यूरोप ने उन्हें नवाजा था। 2025 में उन्हें करेज अवॉर्ड जेनेवा समिट फॉर ह्यूमन राइट्स ने दिया था।

ट्रंप भी थे चर्चा में
इस साल नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम भी चर्चा में था। ट्रंप कई महीनों से अपनी विदेश नीति की उपलब्धियों और शांति समझौतों के लिए पुरस्कार की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन नोबेल कमेटी ने इस बार उन्हें नहीं चुना। विशेषज्ञों का मानना था कि नोबेल कमेटी आमतौर पर उन लोगों या संस्थाओं को चुनती है जो लंबे समय से शांति और लोकतंत्र के लिए काम कर रहे हों और इसी वजह से मचाडो को चुना गया।

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किसे मिलता है नोबेल पीस प्राइज?
नोबेल शांति पुरस्कार दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। इसे वे लोग या संगठन प्राप्त करते हैं, जो विश्व शांति, मानवाधिकार और संघर्ष रोकने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। अन्य नोबेल पुरस्कार जैसे चिकित्सा, भौतिकी, केमिस्ट्री और साहित्य जैसे क्षेत्रों के लिए स्टॉकहोम, स्वीडन में दिए जाते हैं। हालांकि, शांति पुरस्कार का ऐलान और समारोह ओस्लो, नॉर्वे में होता है।