अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान शुरू, भारत में कमला हैरिस के गांव में चल रही विशेष पूजा
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है। कमला हैरिस के पैतृक गांव थुलसेंद्रपुरम में ग्रामीणों ने श्री धर्म संस्था मंदिर में इस उम्मीद से प्रार्थना की है कि वह पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप को हराकर विजयी होंगी।
वाशिंगटन। अमेरिका में 47वें राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग शुरू हो गई है। राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से डोनाल्ड ट्रम्प और डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से भारतवंशी कमला हैरिस मैदान में हैं। कमला हैरिस की जीत के लिए भारत में पूजा अर्चना का दौरा जारी है।
कमला हैरिस फिलहाल अमेरिका की उप-राष्ट्रपति हैं, वहीं ट्रम्प 2017 से 2021 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं।भारतवंशी कमला हैरिस की जीत के लिए दक्षिण भारत में लोग पूजा कर रहे हैं। दक्षिण भारत के तमिलनाडु में स्थित थुलासेंद्रापुरम नाम का गांव कमला हैरिस की मां का गांव है। उनके नाना पी. वी. गोपालन यहाँ सात दशक पहले रहते थे, उसके बाद वह लगभग 200 किमी दूर चेन्नई शहर में बस गए थे।
कमला की माँ का जन्म चेन्नई में हुआ था और 19 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई के लिए वे अमेरिका चली गई थीं। थुलासेंद्रापुरम गाँव के मंदिर के बाहर कमला हैरिस का एक बड़ा-सा पोस्टर लगाया गया है। साल 2014 में इस मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए हैरिस ने पाँच हज़ार रुपये ($60) का दान दिया था। मंदिर के परिसर में एक पट्टिका भी लगी है, जिसमें दानकर्ताओं की सूची में उनका नाम भी शामिल है।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अमेरिका में वोटिंग के दौरान 3 बड़े स्विंग स्टेट्स- पेन्सिल्वेनिया, विस्कॉन्सिन और मिशिगन में बारिश हो रही है। बारिश का सीधा असर वोटर टर्नआउट पर पड़ सकता है। आंकड़े बताते है कि अच्छा वोटिंग टर्नआउट होने से रिपब्लिकन पार्टी यानी ट्रंप को फायदा हो सकता है। 2007 में हुए एक रिसर्च में पता चला था कि रिपब्लिकन वोटर खराब मौसम में भी वोट डालने जाते हैं। जबकि, डेमोक्रेट वोटर खराब मौसम में वोट डालने जाने से बचते हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अब तक के पोल में ट्रम्प और कमला के बीच कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। अगर नतीजा साफ-साफ किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में नहीं आया तो मामला कोर्ट जा सकता है। साल 2000 में भी सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा था। दरअसल उस वक्त फ्लोरिडा में किसी भी एक पार्टी को स्पष्ट जीत हासिल नहीं हुई थी। इसके बाद मामला कोर्ट पहुंच गया था।