Poems : प्रेमशंकर शुक्ल की कविताएं

Hindi Kavitayen : भोपाल के कवि प्रेशंकर शुक्‍ल की रचनाओं में जीवन के विविध आयामों के साथ उपस्थित होता है

Publish: Jul 06, 2020, 04:14 AM IST

पंक्ति-मन

फूलों में कविता की खूशबू है

शब्दों में समझ की

 

धूप जीवन का अप्रतिम विचार है

 

रंगों से अधिक हमारा चेहरा पढ़ना

कोई नहीं जानता

रंगमंच पर रंगों का अभिनय

जीवन को सुन्दरता की तरफ रखने का

जी-तोड़ पसीना है

 

मुश्किलों से जूझ जब हम हँसते हैं

जिन्दगी के इलाके में उजास फैल जाती है

 

गहराई से देखा जाय तो काँटे भी

चुभकर खुश नहीं होते

हमारे खून में उनका भी

दरद बहता है!

 

करुणा सबसे पहले

अपनी कथा की ही

आँख गीली करती है।

 

अथाह

तुम नींद में हँसती हो

और कमरे में हँसी भर जाती है

 

कमरे में

सुबह की धूप

और तुम्हारी हँसी की भेंट देख

कविता पुरखुश होती है

और जिन्दगी के प्रति

और सघन हो जाता है कविता का प्रेम

 

जिन्दगी भले कविता से कम प्रेम करे

लेकिन जिन्दगी से कविता का प्रेम है

अथाह

 

प्रेम में कविता

जिन्दगी के लिए

अपनी दोनों बाँहें फैलाए ही रहती है।

 

रंगों ने

रंगों ने

इतनी खूबसूरत वनस्पतियों को

जन्म दिया है

कि कायनात में भरे हुए हैं रंग

 

तुम हँसो खिलखिलाकर जल्दी से

एक रंग का जन्म रुका हुआ है !

 

असमय

असमय

पीली पड़ जा रही हैं

हरी पत्तियाँ

 

सुबह-सुबह गाया जा रहा है

दोपहर का राग

 

समय भी

समय से कहाँ चल रहा है!

 

कहीं भीतर शहद

रोज की झंझटें -

मुश्किलों की बाढ़

लेकिन जी रहा हूँ न !

कहीं भीतर शहद बचा हुआ है!