MP के 347 नगरीय निकाय पर्यावरण को पहुंचा रहे नुकसान, NGT के आदेश पर लगा जुर्माना

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी के आदेश पर इंदौर सहित प्रदेश की 347 नगरीय निकायों पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के आरोप में जुर्माना लगाया है। जुर्माने की रकम 6 लाख से लेकर 1.86 कराेड़ रुपए तक है।

Updated: Jan 09, 2024, 12:39 PM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश के 347 नगरीय निकाय पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले इन नगरीय निकायों के खिलाफ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कार्रवाई की है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश पर मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 347 नगरीय निकायों पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के आरोप में जुर्माना लगाया है। जुर्माने की रकम 6 लाख से लेकर 1.86 कराेड़ रुपए तक है। 

दरअसल, एनजीटी में नदियों में प्रदूषण, गंदा पानी मिलाने को लेकर जनहित याचिका विचाराधीन है। एनजीटी ने गंदा पानी रोकने को लेकर आदेश जारी किए थे। इसके बाद भी नदी में गंदा पानी मिलते रहने पर जुर्माना लगाए जाने के आदेश दिए थे। इसी आधार पर प्रदेश की सभी छोटी-बड़ी नगरीय निकायों पर पेनल्टी लगा दी गई है। 

सनावद नगर परिषद के सीईओ के खिलाफ तो केस दर्ज कर निचली अदालत में ट्रायल भी शुरू कर दिया गया। इंदौर जिले की बेटमा, मांडू, देपालपुर, हातोद, मानपुर, महूगांव, राऊ, गौतमपुरा, सांवेर परिषद पर जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा संभाग के अन्य जिलों की भीकनगांव, बुरहानपुर, खंडवा, मंडलेश्वर, ओंकारेश्वर, मूंदी, पंधाना, सनावद, नेपानगर, अंजड़, बड़वानी, कसरावद, पानसेमल, राजपुर, खरगोन, आलीराजपुर सहित अन्य परिषद शामिल हैं। 

वहीं भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, मुरैना, रीवा संभाग के जिलों की परिषद पर भी पेनल्टी लगाई गई है। औद्योगिक नगर परिषद पीथमपुर पर सबसे ज्यादा 1 करोड़ 86 लाख रुपए की पेनल्टी लगी है। सनावद नगर परिषद के सीईओ के खिलाफ तो केस दर्ज कर निचली अदालत में ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है। सनावद नगर परिषद के सीईओ और अध्यक्ष की मुसीबत यह हो गई है कि नगर परिषद के पास इस फैसले की अपील करने के लिए वकीलों को नियुक्त करने की फीस भी नहीं है। 

अधिवक्ता आनंद अग्रवाल के मुताबिक बेटमा परिषद पर 1 करोड़ 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है, जबकि यहां की आय भी इतनी नहीं है। महू गांव की परिषद पर 72 लाख की पेनल्टी लगाई है, जबकि यहां के कर्मचारियों तक को सरकार के अनुदान से वेतन दिया जाता है। परिषद की कमाई भी 5 से 10 लाख रुपए तक ही है।