जगतगुरु शंकरचार्य के ब्रह्मलीन होने पर MP में राजकीय शोक की घोषणा, सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की भी मांग

"ब्रिटिश महारानी के लिए झंडा झुका दिया, हिंदू धर्म के ध्वजवाहक के लिए शोक घोषित नहीं" कांग्रेस नेताओं की मांग पर मध्य प्रदेश ने राजकीय शोक की घोषणा, हरिद्वार के संतो ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की मांग की

Updated: Sep 12, 2022, 08:30 PM IST

नरसिंहपुर। सनातन धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु, ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज को भजन कीर्तन के साथ समाधि दी गई। जगतगुरु के देवलोकगमन से देशभर में उनके करोड़ों अनुवायी शोकाकुल हैं। कांग्रेस नेताओं की मांग के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने एकदिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है। 

हालांकि, ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ के निधन पर राष्ट्रीय ध्वज झुकाने वाली केंद्र सरकार ने हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु के ब्रह्मलीन होने पर शोक की घोषणा नहीं की। इस बात को लेकर भी लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायक पीसी शर्मा ने कहा कि, 'भारत की गुलामी का प्रतीक इंग्लैंड की महारानी नहीं रही तो राष्ट्रीय शोक, झण्डा झुका दिया और आज जब सनातन धर्म के ध्वजवाहक पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का देवलोकगमन हुआ तो राष्ट्रीय शोक दूर की बात सरकार ने राजकीय शोक की घोषणा भी नहीं की।'

यह भी पढ़ें: जगतगुरु के उत्तराधिकारियों का ऐलान, अविमुक्तेश्वरानंद ज्योतिष पीठ और सदानंद शारदा पीठ के प्रमुख होंगे

पीसी शर्मा ने आगे कहा कि, 'पूज्य महाराज श्री स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे,स्वतंत्रता संग्राम में दो बार जेल भी गये, हमारी मांग है उनकी समाधि के बाद, 3 दिन का राजकीय शोक घोषित करे सरकार।' पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने भी राजकीय शोक की मांग की थी। कांग्रेस नेताओं की मांग के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने एकदिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है। मुख्यमंत्री कार्यालय के आधिकारिक हैंडल से इस बात की जानकारी दी गई है।

उधर हरिद्वार के संतों ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान से अलंकृत करने की मांग की है। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन हो जाने के बाद सोमवार को हरिद्वार में जगह जगह साधु संतों द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया था। इस दौरान साधु संतों ने उनके नाम पर जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम बदलने के साथ ही देश में राष्ट्रीय शोक घोषित करने की भी मांग की। हरिद्वार के कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में आयोजित शोक सभा में संतों ने शंकराचार्य की विद्वता और सरल स्वभाव का जिक्र करते हुए कहा कि स्वामी को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया जाना चाहिए।

प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज सनातन हिंदू धर्म के संरक्षक, संवर्धक रहे हैं। वे लगभग 45 वर्षों तक ज्योतिष शारदा पीठ पर विराजमान रहे हैं।स्वतंत्रता सेनानी, गौ रक्षक के रूप में उनकी भूमिका को सदैव याद याद किया जाता रहेगा। अध्यात्म जगत की ऐसी महान विभूति को जिसका जीवन सनातन हिंदू धर्म, गंगा की रक्षा के लिए समर्पित रहा, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में विशेष योगदान दिया, ऐसे महान संत को भारत सरकार विशिष्ट नागरिक अलंकरण भारत रत्न से सम्मानित करे।