मोबाइल के जरिए भी विधानसभा सत्र में हिस्सा ले सकेंगे विधायक, सचिवालय ने की पूरी तैयारी

28 दिसंबर से शुरू हो रहा है विधानसभा का शीतकालीन सत्र, मोबाइल एक्सेस के साथ ही विधायकों के पास शारीरिक रूप से सदन में मौजूद रहने का विकल्प भी होगा

Updated: Dec 25, 2020, 03:06 PM IST

Photo Courtesy : Google
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भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा का सत्र चलाने के लिए एक ऐसी पहल होने जा रही है जो कोरोना काल में देश के बाक़ी राज्यों, यहां तक कि संसद की कार्यवाही चलाने के लिए भी एक मिसाल बन सकती है। 28 दिसंबर से शुरू होने जा रहे मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र को मोबाइल की मदद से चलाने की तैयारी की गई है। ऐसे इंतज़ाम किए जा रहे हैं कि सभी विधायक अपने मोबाइल के ज़रिए सदन की कार्यवाही में शामिल हो सकेंगे। हालाँकि इस व्यवस्था का पूरा खाका क्रिसमस के बाद होने वाली सर्वदलीय बैठक में विचार-विमर्श के बाद फ़ाइनल किया जाएगा। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 28 नए विधायकों को शपथ दिलाने, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव कराने के अलावा कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाने की संभावना है। इनमें अंतर-धार्मिक शादियों में अड़चनें खड़ी करने वाला धर्मांतरण से जुड़ा विवादास्पद विधेयक भी शामिल है।

मध्य प्रदेश विधानसभा का सचिवालय फिलहाल शीतकालीन सत्र की कार्यवाही में विधायकों के दोनों तरह से भाग लेने की व्यवस्था कर रहा है। यानी जो विधायक शारीरिक रूप से सदन में मौजूद रहकर कार्यवाही में हिस्सा लेना चाहेंगे उनके लिए तो पूरे इंतज़ाम रहेंगे ही, लेकिन अगर कुछ विधायक वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए शामिल होना पसंद करते हैं, तो उसकी व्यवस्था भी की जा रही है। पिछली बार विधायकों के लिए जिला मुख्यालयों में बैठकर सदन के सत्र में भाग लेने की व्यवस्था की जा चुकी है, लेकिन इस बार उनके मोबाइल पर एक्सेस देकर घर से ही कार्यवाही में भाग लेने की इजाज़त दी जाएगी।

जो विधायक, अधिकारी और कर्मचारी विधानसभा में शारीरिक रूप से मौजूद रहेंगे, उन सभी की कोरोना की जांच विधानसभा में मौजूद अस्पताल में  की जाएगी। मध्य प्रदेश में अब तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत 11 मंत्री और 32 विधायक कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। 

कोरोना महामारी की वजह से 2020 में मध्य प्रदेश विधानसभा का कोई भी सत्र ढंग से नहीं चल पाया है। फ़रवरी में बजट सत्र होना था कि तभी कोरोना ने दस्तक दे दी। इसके बाद दल-बदल और सत्ता परिवर्तन का खेल शुरू हो गया। साल 2020-21 का बजट तक अध्यादेश के ज़रिए लाया गया। संवैधानिक ज़रूरत की वजह से विधानसभा का मॉनसून सत्र हुआ तो ज़रूर लेकिन महज़ कुछ घटों का। आपसी सहमति से दोनों दलों के सीमित विधायकों को बुलाया गया और पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विधायक जिला मुख्यालय से कार्यवाही का हिस्सा बने।

इस बीच, विपक्ष भी शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरने के लिए अपनी रणनीति बनाने में जुटा है । 27 दिसंबर को इसी सिलसिले में कांग्रेस के विधायक दल की बैठक होनी है। बैठक में किसान आंदोलन के समर्थन और कृषि कानूनों के खिलाफ 28 दिसंबर को होने वाले विधानसभा के घेराव पर भी चर्चा की जाएगी। कांग्रेस ने सरकार के नए कृषि क़ानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए बड़ी संख्या में विधायकों के ट्रैक्टरों से विधानसभा पहुंचने का एलान किया है।