कर्ज़माफी योजना का बेताल नहीं छोड़ रहा शिवराज सरकार का पीछा, वेबसाइट ने बताया सच तो हटा दिया कंटेंट

कमलनाथ सरकार की किसान फसल ऋण माफी योजना का कंटेंट हाल तक कृषि मंत्रालय की वेबसाइट पर रहा बरकरार, कृषि मंत्री कमल पटेल के आदेश पर अब जाकर हटाया गया

Updated: Dec 25, 2020, 02:11 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार कमलनाथ सरकार की किसान कर्ज़माफी योजना पर चाहे कितने भी हमले करती रही हो, उसे ख़ारिज करने की चाहे कितनी भी कोशिश करती रही हो, गाहे-बगाहे इस योजना की चर्चा उसकी मुश्किलें बढ़ा ही देती है। पहले तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चुनावी भाषणों के विपरीत उन्हीं की सरकार ने विधानसभा में लिखकर माना कि कमलनाथ सरकार में किसानों की कर्ज़माफी वाक़ई की गई। और अब ये बात सामने आ रही है कि कांग्रेस सरकार के राज में शुरू हुई इस योजना का प्रचार-प्रसार शिवराज के कार्यकाल में भी बदस्तूर जारी रहा। और वो भी सरकार के कृषि मंत्रालय की वेबसाइट पर।

कृषि विभाग की वेबसाइट पर कमलनाथ सरकार की किसान कर्ज़माफी योजना का प्रचार बदस्तूर जारी रहने की बात पर जब हाल ही में कुछ लोगों की नज़र पड़ी और हल्ला हुआ तो अब वेबसाइट से वो कंटेंट हटा दिया गया। कुछ न्यूज़ चैनल्स और उनकी वेबसाइट्स पर ये खबर जारी होने के बाद ही कृषि मंत्री कमल पटेल का ध्यान इस तरफ़ गया, जिसके बाद उन्होंने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए। कमल पटेल ने कृषि विभाग की वेबसाइट से किसान फसल ऋण माफी योजना की सारी जानकारी हटाने के निर्देश दिए और पूरे मामले के लिए दोषी अफसरों पर कार्रवाई करने के लिए कहा है। कृषि मंत्री कमल पटेल के आदेश के बाद कृषि विभाग की वेबसाइट से किसान फसल ऋण माफी योजना से जुड़ी सभी जानकारियां हटा दी गई हैं।

प्रदेश में कमलनाथ की सत्ता पलटने के बाद से ही किसान कर्ज माफी के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर निशाना साधते रहे हैं। लेकिन कृषि विभाग की वेबसाइट पर योजना की जानकारी मौजूद रहने पर सियासी घमासान मच गया। इससे पहले शिवराज सरकार ने विधानसभा में कमलनाथ सरकार की ओर से किसान कर्ज माफी की बात भी स्वीकार की थी। उसके बाद अब कृषि विभाग की वेबसाइट पर योजना की जानकारी बने रहने की वजह से शिवराज सरकार के झूठ की पोल खुलती नज़र आती है।

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इससे पहले प्रदेश की बीजेपी सरकार पिछली कमलनाथ सरकार में 28 लाख किसानों का कर्जा माफ होने की बात को स्वीकार चुकी है। विधानसभा में एक विधायक के सवाल के जवाब में कृषि मंत्री कमल पटेल ने विधानसभा में अपने लिखित जवाब में किसान कर्ज माफी की जानकारी दी थी। जबकि सदन के बाहर बीजेपी लगातार आरोप लगा रही है कि कमलनाथ सरकार ने कर्ज माफ नहीं किया। विधानसभा में सरकार के कर्ज़माफी को स्वीकार कर लेने के बाद कांग्रेस लगातार बीजेपी को इस मसले पर घेरती रही है। और अब कृषि विभाग की वेबसाइट पर उसी योजना का प्रचार जारी रहना कांग्रेस के लिए शिवराज सरकार पर तंज़ करने के एक और मौक़े से कम नहीं है। 

अब तो सरकार को किसानों के हित में योजना जारी रखने पर भी विचार कर लेना चाहिए

हालांकि कृषि मंत्री कमल पटेल के आदेश के बाद किसान फसल ऋण माफी योजना से जुड़े सभी कंटेंट को हटा दिया गया है। लेकिन इस मसले को एक और नज़रिये से भी देखा जा सकता है। क़र्जमाफी की योजना भले ही कांग्रेस की सरकार के दौरान शुरू हुई हो, लेकिन ये योजना किसी पार्टी की तो नहीं, राज्य सरकार की ही है। वो भी ऐसी योजना जिसे शिवराज सरकार ख़ुद विधानसभा में कामयाब बता चुकी है। ऐसे में अगर योजना अच्छी थी और उसका प्रचार हो भी रहा था तो उसमें हर्ज़ ही क्या है? अगर बीजेपी सरकार इस मामले में बड़ा दिल दिखाए और किसानों के हित को ऊपर रखे तो प्रचार बंद करने और वेबसाइट से विवरण हटाने की बजाय योजना को जारी रखने पर भी विचार कर सकती है। भला प्रदेश के किसानों की भलाई के लिए ऐसा करने में संकोच क्यों होना चाहिए?