भोपाल में RSS कार्यालय के सामने की जमीन के विवाद में मारपीट, वकील को जान से मारने की धमकी

कोर्ट में गुरुवार को भी वकील को धमकी दिए जाने का आरोप, भोपाल में RSS कार्यालय के सामने स्थित इस जमीन पर बाउंड्री बनवाने के लिए ही कुछ दिनों पहले भोपाल कलेक्टर ने तीन थाने में लगाया था कर्फ्यू

Updated: Jan 22, 2021, 01:54 PM IST

Photo Courtesy : Fresspress Journal
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भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यालय के सामने की एक जमीन को लेकर उपजा विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हनुमानगंज थाना एरिया के कबाड़खाना में आरएसएस कार्यालय के सामने स्थित इस जमीन के मामले में आपत्ति करने वाले पक्ष के वकील को पीटा गया है। वकील ने बताया है कि आरोपियों ने जान से मारने की धमकी देते हुए कल कोर्ट जाने से मना किया है।

दरअसल, मोहम्मद सुलेमान ने वर्ष 2015 में राजदेव कॉलोनी समेत 6.5 एकड़ की जमीन को कब्रिस्तान बताते हुए वक्फ् ट्रिब्यूनल में याचिका लगाई है और आपात सुनवाई की मांग की है। इसमें RSS कार्यालय के सामने की 37 हजार वर्ग फीट की जमीन भी है। इस मामले में श्याम नागवार ने भी वक्फ ट्रिब्यूनल में याचिका लगाई है जिसके वकील जगदीश छावनी हैं। नागवार के वकील जगदीश ने बताया कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान सुलेमान के 150 साथी कोर्ट में घुस गए जिनका कोई लेना देना नहीं है और वे हंगामा करने लगे। इसपर जब जगदीश ने आपत्ति की तो उन्होंने देख लेने की धमकी दी।

लालघाटी निवासी पीड़ित जगदीश छावनी ने एक हिंदी अखबार को बताया कि वह आज 2 बजे के करीब अपने क्लाइंट से मिलने जा रहे थे। इतने में कलेक्टर ऑफिस के पास चार लोगों ने उनके ऊपर हमला कर दिया। उन्होंने जगदीश को धमकी दी कि वह अगर कल कोर्ट जाएंगे तो उन्हें जान से मार दिया जाएगा। उसके बाद आरोपी वहां से फरार हो गए। पीड़ित वकील की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मारपीट, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देने समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है।

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गौरतलब है कि यह वही जमीन है जिसपर कब्जे को लेकर तनाव की आशंका को देखते हुए भोपाल के कलेक्टर ने बीते दिनों राजधानी के तीन थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया था। यह कर्फ्यू तब तक लागू रहा जब तक जमीन पर बाउंड्री वॉल नहीं बन गई। इतना ही नहीं, तनाव न हो पाए इसके लिए प्रशासन को राजधानी के 11 थाना क्षेत्रों में धारा 144 भी लगानी पड़ी थी। इसके बाद राजदेव ट्रस्ट के कब्जे में जमीन दी गई।