सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव का माफीनामा किया खारिज, कहा अंजाम भुगतने को रहें तैयार
कोर्ट ने कहा कि पतंजलि को अदालत के आदेश की अवहेलना करने का अंजाम भुगतना होगा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि के सह संस्थापक रामदेव को एक बार फिर फटकार लगाई है। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने रामदेव के माफीनामे को भी खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि रामदेव को अदालत के आदेश की अवहेलना करने का अंजाम भुगतना होगा।
हम अंधे नहीं हैं
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की दो सदस्यीय बेंच पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले की सुनवाई कर रही है। बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हम अंधे नहीं हैं, हम माफीनामा अस्वीकार करते हैं। वहीं इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि वह इस मामले में केंद्र के जवाब से भी संतुष्ट नहीं है।
मंगलवार को रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में अपना माफीनामा दाखिल किया था। माफीनामे में रामदेव ने कहा था कि हमसे भूल हो गई, हमसे दोबारा ऐसी गलती नहीं होगी। हालांकि कोर्ट से आज एक बार फिर रामदेव को फटकार ही मिली।
इस मामले में पिछली सुनवाई दो अप्रैल को हुई थी, तब भी रामदेव ने अदालत के सामने दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगी थी। हालांकि तब अदालत ने रामदेव को एफिडेविट दाखिल करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी थी।
यह भी पढ़ें : झूठ की बौछार करने से इतिहास नहीं बदलता, राहुल गांधी का पीएम मोदी पर हमला
वहीं इस पूरे मामले पर कोर्ट ने केंद्र सरकार के ढीले रवैए पर भी ऐतराज़ जताया था। कोर्ट ने कहा था कि यह बात समझ के परे है कि आखिर केंद्र ने इस मामले पर अपनी आंखें क्यों मूंद लीं। हालांकि आयुष मंत्रालय ने मंगलवार को दायर किए अपने हलफनामे में यह कहा है कि उसने पतंजलि को ऐसा प्रचार करने के लिए आगाह किया था।
यह भी पढ़ें : अब कार्रवाई के लिए तैयार हो जाएं, भ्रामक विज्ञापन मामले में SC ने लगाई रामदेव को फटकार
क्या है मामला
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कोर्ट में पतंजलि के ख़िलाफ़ एक याचिका दायर की है, जिसमें पतंजलि के ऊपर भ्रामक प्रचार करने के आरोप लगे हैं। IMA ने कोर्ट को अपनी याचिका में बताया है कि रामदेव की कंपनी ने एलोपैथी और कोविड वैक्सीनेशन के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार किया। और कई ऐसे विज्ञापन किए जिनमें देश की आम जनता को गुमराह करने के लिए कहा गया कि आधुनिक दवाइयां लेने वाले चिकित्सक भी मर रहे हैं।