भाजपा नेत्री की मर्डर मिस्ट्री, पार्टी के ही सीनियर नेता ने दी थी सुपारी, दिग्विजय सिंह ने की NIA जांच की मांग
अशोकनगर के चंदेरी की भाजपा मंडला अध्यक्ष ममता यादव की गुमशुदगी के बाद मौत का मामला 9 महीने बाद भी नहीं सुलझ पाया है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने शनिवार को इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उच्चस्तरीय जांच की मांग उठाई।
भोपाल। मध्य प्रदेश के अशोकनगर के चंदेरी की भाजपा मंडला अध्यक्ष ममता यादव की गुमशुदगी के बाद मौत का मामला 9 महीने बाद भी नहीं सुलझ पाया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शनिवार को इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उच्चस्तरीय जांच की मांग उठाई। सिंह ने परिजनों के हवाले से बताया कि अशोकनगर के एक बड़े भाजपा नेता ने ममता यादव के हत्या की सुपारी दी थी। सिंह ने मृतका के परिजनों की भी सुरक्षा की चिंता जताई है और सीएम यादव से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भोपाल स्थित अपने निवास पर मृतिका ममता यादव के भाई राजभान यादव और उसकी मां गीता बाई से मुलाकात की। इसके बाद संयुक्त रूप से प्रेस को संबोधित किया। सिंह ने कहा कि यह एक बहुत ही संगीन अपराध है। ममता यादव भाजपा की मंडल अध्यक्ष थीं। वह 11 सितंबर को घर से ये कहकर निकलती है कि प्रयागराज में रेंजर रमापति द्विवेदी से सात लाख रुपए लेना है। वह वहां जाकर फोन से लगातार परिजनों से संपर्क में रहती है। 21 सितंबर 2023 को आखिरी बार उससे बात हुई थी। इसके बाद अगले दो दिन तक ममता से कोई संपर्क नहीं हुआ तो 23 सितंबर को चंदेरी थाने में उसके गायब होने के बारे में पुलिस को बताया लेकिन गुमशुदगी दर्ज नहीं की गई।
सिंह ने बताया कि ममता की गुमशुदगी के बाद परिजन स्थानीय विधायक बृजेंद्र यादव के पास गए, सिंधिया के पास गए लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अंतत: 29 सितंबर को पुलिस ने ममता यादव की गुमशुदगी दर्ज की। उसके बाद अशोकनगर पुलिस ने CDR निकाले जिसे चंदेरी थाना प्रभारी ने एसपी को दी थी उसमें 6 नम्बर ऐसे हैं जिनसे 11 से 21 के बीच ममता यादव की बात हुई थी। 11 सितंबर से 21 सितंबर के बीच ममता की सबसे ज्यादा 86 बार बात एक नंबर पर हुई। वहीं एक अन्य नम्बर पर 44 जबकि तीसरे नंबर पर 40 बार बात हुई थी। सिंह ने पूछा है कि एसपी अशोकनगर के पास यह जानकारी है लेकिन इसपर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
सिंह ने कहा कि जिस व्यक्ति से ममता की 86 बार बात हुई वो कौन है, क्या उसकी जांच नहीं की जा सकती है। मुझे स्थानीय पुलिस पर भी कोई भरोसा नहीं है, इसलिए चाहता हूं कि डीजीपी स्वयं किसी वरिष्ठ अधिकारी को जांच सौंपे। भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक इस नम्बर का इस्तेमाल मुंगावली से भाजपा के विधायक बृजेंद्र सिंह यादव करते हैं। कई जगहों पर सरकारी रिकॉर्ड में भी उन्होंने यह नंबर दिया हुआ है। सिंह ने कहा कि यदि ऐसा है तब पुलिस को स्पष्ट करना चाहिए, इन्वेस्टिगेशन करना चाहिए।
सिंह ने मृतिका के भाई राजभान सिंह यादव के हवाले से बताया कि प्रयागराज पुलिस की जांच में पता चला है कि संजय द्विवेदी नाम के व्यक्ति ने ममता यादव की हत्या की है और उसने स्वीकारा है कि अशोकनगर से भाजपा के एक सीनियर नेता ने उसे 20 लाख रुपए सुपारी दी थी। ममता यादव के भाई ने बताया कि फरवरी 2024 में वह चंदेरी पुलिस के साथ प्रयागराज के सभी थानों क्षेत्रों में मिले लावारिस शवों के फोटो देखने गए थे इसी दौरान मांडा थाने में एक शव का फोटो दिखा जो ममता के हुलिए से मिल रहा था। उसके शरीर पर बने टैटू से उसकी शिनाख्त की। हालांकि, 9 महीने बाद भी उन्हें डेड बॉडी नहीं मिल पाई है ताकि वे अंतिम संस्कार कर सकें।
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह प्रतीत होता है कि ये एक बहुत बड़ा राजनीतिक षड्यंत्र है जिसके कारण ममता की हत्या हुई है। चंदेरी थाने के सब इंस्पेक्टर धर्मेश दांगी के रहते जांच नहीं हो सकती।
इस बारे में मैने डीजीपी को पत्र लिखा है। क्योंकि आजकल तो CBI जांच की मांग भी नहीं कर सकते। CBI वाले भी भ्रष्टाचार में पकड़े जाते हैं। चुंकी ये दो राज्यों का प्रश्न है इसलिए जांच NIA अथवा STF को सौंपना चाहिए। ये कोई छोटा मोटा मामला नहीं। भाजपा मंडल अध्यक्ष की निर्मम हत्या का मामला है।मैं मोहन यादव से कहूंगा कि इसे गंभीरता से लें और दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।
सिंह ने कहा कि हमें शक इस बात का है कि इस मामले को रफादफा करने के लिए बहुत बड़े राजनीतक लोग जुटे हुए हैं। परिजनों को भी जान का खतरा है और हम।उनकी सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की मांग करते हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं को न्याय नहीं मिल रहा तो आम आदमी की क्या हाल होगी? ममता की आठ साल की बच्ची है उसपर क्या बीत रही होगी?
इस दौरान ममता की मां रुआंसी होकर मीडिया से कहती है कि हमें सिर्फ न्याय चाहिए। वहीं, उसके भाई ने कहा कि हम अंतिम संस्कार तक नहीं कर पा रहे हैं। हमें न्याय नहीं मिल रहा। सभी जगह गए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर दोनों राज्यों के सभी पुलिस अधिकारियों से शिकायत की। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं। अब हमारे पास आत्महत्या ही आखिरी विकल्प बचता है। घटना के दो महीने बाद भी हमें अबतक डेड बॉडी नहीं दी गई है। हम भटक-भटक कर परेशान हो गए हैं।