15 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर मिले मुआवजा, डूब प्रभावित क्षेत्रों से लौटे दिग्विजय सिंह ने लिखा सीएम को पत्र

भोपाल के पास टेम नदी पर बन रही टेम परियोजना और राजगढ़ जिले में पार्वती नदी पर बन रही सुठालिया परियोजना के कारण डूब प्रभावित लोग मुआवजे से वंचित, लोगों से मिलने के बाद दिग्विजय सिंह ने उठाई मांग

Updated: Dec 18, 2021, 11:44 AM IST

भोपाल। टेम परियोजना और सुठालिया परियोजना ने मध्य प्रदेश के हजारों लोग विस्थापन को मजबूर हैं। डैम बनने के कारण इनका घर-जमीन डूब प्रभावित क्षेत्रों में आ गया है। हालांकि, विस्थापन के लिए सरकार की ओर से मुआवजे की रकम भी बेहद कम दी जा रही है। पूर्व सीएम व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह बीते दिनों डूब प्रभावित इलाकों का दौरा कर पीड़ितों का हाल जानने गए थे। सिंह ने अब विस्थापन की मार झेल रहे लोगों के लिए सीएम शिवराज को पत्र लिखकर मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की है।

सीएम शिवराज को संबोधित पत्र में दिग्विजय सिंह ने लिखा है की, '383 करोड़ रुपए की लागत से बन रही टेम सिंचाई परियोजना में भोपाल जिले के ग्राम मजीदगढ़, खेडली, छाबडीखेड़ा, गढ़ाब्राम्हण और कोलूखेड़ी ग्रामों की 193 हेक्टेयर जमीन और 790 कच्चे, पक्के घर डूब में आ रहे हैं। इसी प्रकार विदिशा जिले के ग्राम बैरागढ़, दपकन, गोरियापुरा, धोखेड़ा, हरिपुरा, धीरगढ़, भगवानपुर, मण्डेला और भीलाखेड़ी खुर्द की करीब 450 हेक्टेयर जमीन और 560 मकान डूब की चपेट में आ रहे है। गुना जिले के अरेरा बालापुरा ग्राम के कुछ घर भी डूबने जा रहे हैं।

बाजार के रेट से 5-7 गुना कम मुआवजा

किसानों का आरोप है कि उन्हें बाजार के रेट से 5-7 गुना कम मुआवजा दिया जा रहा है। सिंह ने किसानों के हवाले से बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत विदिशा जिले में महज 2 लाख 15 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर तथा बैरसिया में 2 लाख 50 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा ही दिया जा रहा है। जबकि खुले बाजार में इन जमीनों की कीमत से 12.50 से 20 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर तक है। डूब प्रभावित किसानों को सरकार 1 लाख रूपये एकड़ से भी कम का मुआवजा दे रही है। इस पुनर्वास नीति को लेकर किसानों बहुत गुस्सा है।' 

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किसानों का कहना है कि राजगढ़ जिले में निर्मित मोहनपुरा परियोजना में सरकार ने वर्ष 2016 में दस लाख रूपये हेक्टेयर की एकमुश्त दर से मुआवजा देकर विस्थापितों का पुर्नवास किया था। साथ ही ट्यूबवेल, कुआ, पाईप लाईन और फलोयान- बगीचा का अलग से मुआवजा दिया था। इसलिए किसानों ने सहमति के साथ उसे स्वीकार कर विस्थापित हो गये थे और अपने पैतृक स्थान की यादें किसानों के कल्याण के लिये डूब जाने दी थी। हमें भी अपनी पुश्तैनी जमीन जायदाद छोड़नी पड़ रही है। अत्यंत कम मुआवजा मिलने से सभी किसान सदा के लिए बदहाल हो जायेंगे। किसान न सिर्फ बेघर होंगे बल्कि भूमिहीन भी हो जाएंगे।

सुठालिया परियोजना में डेढ़ हजार परिवारों का विस्थापन

सीएम को संबोधित पत्र में दिग्विजय सिंह ने बताया है कि सुठालिया परियोजना के कारण डेढ़ हजार से अधिक परिवारों को विस्थापित होना पड़ेगा। उन्होंने लिखा कि, '1400 करोड़ की लागत से राजगढ़ जिले के ब्यावरा विकासखण्ड में ग्राम बैराड़ के पास पार्वती नदी पर सुठालिया परियोजना प्रस्तावित है। इसमें राजगढ़ जिले के 9, भोपाल के 5 और गुना जिले के 2 गांव डूब क्षेत्र में आ रहे है, जिससे डेढ़ हजार से अधिक परिवारों को विस्थापित किया जाएगा। यहां की करीब 3400 हेक्टेयर जमीन डूब रही है। 

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सिंह के मुताबिक जिस दर पर जमीन का मुआवजा दिया जा रहा है, वह बाजार दर से बहुत कम है। सुठालिया परियोजना में डूब में आ रही अधिकांश जमीन पूर्व से सिंचित है। यहां के किसान भी मोहनपुरा डैम के समय बनाई गई नीति के अनुरूप ही अपना विस्थापन और पुनर्वास चाह रहे हैं। उनकी मांग किया है कि साल 2021 में बढ़ी हुई मंहगाई और जमीन की कीमतों को देखते हुए उन्हें 15 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा और समीपवर्ती शहरी क्षेत्र में रहवासी भूखंड उपलब्ध कराये जाये।

दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री को कहा है कि यदि इन मांगों को पूरा किया जाता है तो लोग विस्थापन के लिए रजामंदी दे सकेंगे।