मध्य प्रदेश में सरकारी बाबू बनने के लिए ग्रेजुएशन होगा ज़रूरी, जल्द हो सकता है औपचारिक एलान

सेवा नियमों में बदलाव के लिए गठित कमेटी का कहना है कि लिपिकीय संवर्ग में योग्यता को ग्रेजुएट किया जाना चाहिए, जल्द ही समिति की इस सिफारिश को शिवराज कैबिनेट की हरी झंडी मिल सकती है

Updated: Jan 23, 2021, 06:01 AM IST

Photo Courtesy: Times Of India
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भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार सेवा नियमों में बदलाव करने जा रही है। नियमों में बदलाव के लिए गठित तीन सदस्यों की समिति का मानना है कि क्लर्क ग्रेड यानी लिपिकीय संवर्ग में भर्ती की परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम योग्यता हायर सेकंडरी से बढ़ाकर ग्रेजुएट कर देनी चाहिए। इसके साथ ही समिति का यह भी सुझाव है कि नॉन पीएससी कर्मचारियों को पहले साल से ही सौ फीसदी वेतन दिया जाए। 

दरअसल हाल ही में शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश के सेवा भर्ती नियमों में बदलाव करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। इस समिति में अपर मुख्य सचिव आईसीपी केशरी को अध्यक्ष, सामान्य प्रशासन विभाग की प्रमुख सचिव दीप्ति गौड़ और एक अन्य सचिव रूही खान को जबकि सचिव बन गया है। इस कमेटी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार कर ली है। 

समिति का कहना है कि लिपिकीय संवर्ग में होने वाली भर्ती में 90 फीसदी से ज़्यादा परीक्षार्थी ऐसे होते हैं जो ग्रेजुएट होते हैं। समिति के मुताबिक सिर्फ हायर सेकंडरी पास परीक्षार्थियों की संख्या बेहद कम है। लिहाज़ा योग्यता को हायर सेकंडरी के बदले अब ग्रेजुएशन ही कर देना चाहिए।

इसके साथ ही समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि नॉन पीएससी कर्मचारियों को शुरू से ही सौ फीसदी वेतन दिया जाएगा। मौजूदा नियमों के मुताबिक, नॉन पीएससी कर्मचारियों को पहले वर्ष में 70 फीसदी, दूसरे वर्ष में 80 फीसदी और तीसरे वर्ष में 90 फीसदी वेतन मिला करता था। जल्द ही समिति सामान्य प्रशासन विभाग को अपनी अंतिम रिपोर्ट भेज देगी। जिसके बाद विभाग इसे कैबिनेट के सामने प्रस्तुत करेगा। अगले महीने इस पर फैसला होने की संभावना है।