लॉकडाउन में हेल्पलाइन खुद हेल्पलेस

मध्यप्रदेश में मजदूरों व श्रमिकों के लिए तमाम तरीके की घोषणाएं की गई है। लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल उलट दिखाई देती है।

Publish: May 05, 2020, 06:14 AM IST

Photo courtesy :  indianexpress
Photo courtesy : indianexpress

मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस और लॉक डाउन के बाद से लेकर लगातार मजदूरों व श्रमिकों के लिए तमाम तरीके की घोषणाएं की गई है। इसके तहत मध्यप्रदेश में जो मजदूर फंसे हुए हैं उनको आर्थिक सहायता, राशन की व्यवस्था और दूर के प्रदेशों में जो भी मजदूर फंसे हुए हैं उनके लिए आर्थिक सहायता भेजे जाने की बात कही गई। लगातार खबरों में यह बयान भी जारी किए गए कि मध्य प्रदेश की सरकार किस तरीके से मजदूरों के खाते में पैसे डाल रही है। लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल उलट दिखाई देती है।

Click मजदूरों की घर वापसी बनी मजाक

विशेष तौर पर मजदूरों को दूसरे राज्यों से वापस बुलाने के लिए ट्रेनों और बसों का इंतजाम किया जा रहा है, वह दावा भी अधूरा दिखाई देता है। खुद कई मजदूर मजदूरों का दावा है कि जो भी हेल्प लाइन नंबर या टोल फ्री नंबर मध्य प्रदेश की सरकार ने जारी किए हैं वह कभी लगते ही नहीं। कई मजदूर तो ऐसे हैं जो पिछले 40 दिनों से लगातार मध्य प्रदेश सरकार के नंबर लगा रहे हैं लेकिन अब तक उनकी किसी प्रकार की कोई सुनवाई नहीं हुई है क्योंकि वह फोन नंबर हमेशा ही व्यस्त जाते हैं।

मजदूरों का यह भी दावा है कि पिछले 40 दिनों से वह लगातार मध्य प्रदेश सरकार से अपने प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन किसी भी नंबर से अभी तक उनकी संपर्क में नहीं हो पाया है। हमेशा या तो उनसे नंबर ले लिया जाता है और अगले दिन उनकी शिकायत को क्लोज कर दिया जाता है। विशेष तौर पर जो भी मजदूर दूसरे राज्य में फंसे हुए हैं उनकी समस्याएं बहुत ज्यादा गंभीर है।

Click सीएम के क्षेत्र में एम्बुलेंस नहीं आई, साधु की मौत

कहा यह जा रहा है कि अलग-अलग प्रदेशों में मध्य प्रदेश की सरकार ट्रेन या बस के माध्यम से अपने यहां के श्रमिकों को ला रही है। लेकिन जो मजदूर खुद परेशान हैं बार-बार फोन करने का प्रयास कर रहे हैं वह सरकार से संपर्क ही नहीं कर पा रहे हैं। विशेष तौर पर ऐसे हेल्पलाइन नंबर जो सरकार ने जारी किए हैं वह लोगों के संपर्क के बाहर बताए जा रहे हैं।

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के निवासी राकेश यादव लॉक डाउन की वजह से परिवार सहित मुंबई में फंसे हैं। उनका कहना है कि बीते 41 दिन से वे लगातार मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जारी किये गए नंबरों पर कॉल कर रहे हैं लेकिन आज तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसी परेशानी वाले रवि अकेले नहीं है। देश भर में फंसे मध्य प्रदेश के हजारों मजदूरों का यही हाल है।