अदालत ने तस्लीम को 3 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेजा, पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज है मुकदमा

तस्लीम का एक वीडियो हाल ही में वायरल हुआ था, जिसमें कुछ लोग उसकी पिटाई करते हुए दिख रहे थे, मामले में बवाल मचने पर पुलिस ने तस्लीम की पिटाई करने वाले आरोपियों को तो गिरफ्तार कर लिया, लेकिन पुलिस ने कथित तौर पर नाबालिग से छेड़खानी के मामले में उसे आरोपी बना दिया, अब इसी सिलसिले में तस्लीम को अदालत ने 3 सितंबर तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेजा है

Updated: Aug 25, 2021, 12:44 PM IST

इंदौर। इंदौर के बहुचर्चित मुस्लिम युवक पिटाई कांड के पीड़ित तस्लीम को कोर्ट ने पुलिस की हिरासत में भेज दिया है। अदालत ने हरदोई के रहने वाले तस्लीम को 3 सितंबर तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेजा है। तस्लीम पर पॉक्सो एक्ट सहित 9 गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। रिपोर्ट्स के मुताबिक हरदोई में पुलिस को तस्लीम के खिलाफ एक भी आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिला है। हालांकि दो आधार कार्ड बनवाने के सबूत पुलिस को मिले हैं।  

इंदौर में हाल ही में हुए मुस्लिम युवक पिटाई कांड के सामने आने के बाद तस्लीम का नाम चर्चा में आया था। इंदौर के बाणगंगा क्षेत्र का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें कुछ लोग तस्लीम की बेरहमी से पिटाई करते हुए दिखाई दे रहे थे। इस मामले में बवाल मचने के बाद पुलिस ने तस्लीम की पिटाई करने वाले तीनों आरोपियों को अपनी हिरासत में ले लिया।  

यह भी पढ़ें ः जिस मुस्लिम युवक को पीटा गया, पुलिस ने उसके ही ऊपर दर्ज किया मुकदमा, सोशल मीडिया पर मचा बवाल

लेकिन जल्द ही इस मामले ने सियासी रंग ले लिया। शिवराज सरकार में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पीड़ित तस्लीम को लेकर कहा कि वह अपना नाम बदलकर और पहचान छिपाकर चूड़ी बेचने का काम कर रहा था। इस मामले में नया एंगल उस दौरान सामने आया जब तस्लीम के खिलाफ पॉक्सो एक्ट सहित नौ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज करा दिया गया।

यह भी पढ़ें ः मुस्लिम युवक के साथ मारपीट करने वाले तीनों आरोपी गिरफ्तार, तीसरे को पुलिस ने ग्वालियर में पकड़ा

एक छात्रा ने आरोप लगाया कि तस्लीम ने उससे छेड़खानी करने कोशिश की थी। इन शिकायतों के आधार पर पुलिस ने तस्लीम को गिरफ्तार तो कर लिया। लेकिन दूसरी तरफ इस पूरे मामले में सरकार में उच्च और ज़िम्मेदार पदों पर पदस्थ मंत्रियों द्वारा की गई बयानबाज़ी भी चर्चा का विषय बनी रही। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस पूरे मामले में सरकार के मंत्रियों पर संवैधानिक पदों पर होने के बावजूद लोगों को एक समुदाय विशेष के खिलाफ उकसाने का आरोप लगाया।