जबलपुर: अस्पताल की लापरवाही से गई थी बच्ची की आंखों की रोशनी, अब हॉस्पिटल को देने होंगे 85 लाख रुपए

जबलपुर के एक निजी अस्पताल की लापरवाही के कारण 19 साल पहले एक बच्ची की आंखों की रोशनी छीन गई थी जिस कारण अब अस्पताल पर ब्याज सहित 85 लाख रुपए का फाइन लगा है। 

Publish: Sep 23, 2023, 03:29 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में म.प्र. राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने एक अस्पताल पर 85 लाख रुपए का फाइन लगाया है। आयोग ने यह फाइन 19 साल पहले हुए एक ऑपरेशन में अस्पताल की लापरवाही के मामले में लगाया है। यहां इनक्यूबेटर ऑपरेटिंग में लापरवाही के चलते एक मासूम की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई। जिसके बाद बच्ची के माता पिता ने म.प्र. राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में शिकायत करने पहुंचे। अब 19 साल बाद आयोग ने ब्याज सहित 85 लाख रुपए अस्पताल द्वारा बच्ची के माता पिता को देने का आदेश दिया है।

बच्ची के पिता शैलेन्द्र जैन के वकील दीपेश जोशी के ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है। अभी तक इतनी बड़ी कंपनसेशन राशि किसी भी मध्य प्रदेश में किसी अस्पताल पर लापरवाही के चलते नहीं लगाई गई है। इससे अस्पतालों को लापरवाही न करने की सीख मिलेगी। मरीजों के इलाज में अस्पताल प्रबंधन और अधिक सावधानी बरतेंगे। इससे पहले एक स्टोन क्लीनिक के मामले में आयोग ने 15 लाख का जुर्माना लगाया था।

म.प्र. राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के एके तिवारी, श्रीकांत पांडे और डीके श्रीवास्तव की बैंच ने 14 सितंबर को यह फैसला सुनाया है। यह केस 19 साल से चल रहा था। 2004 में शेलेंद्र जैन की बेटी साक्षी जब एक साल की थी। तब उसे डॉक्टर्स की सलाह पर आयुष्मान चिल्ड्रन अस्पताल में इनक्यूबेटर में रखा गया। कुछ दिन बाद बच्ची ठीक हुई तो माता - पिता उसे घर ले गए। कुछ समय बाद पता चला कि उसे कुछ दिखाई नहीं देता है। इसके बाद बच्ची को शैलेंद्र ने कई आंखों के डॉक्टर्स को दिखाया गया। डॉक्टर्स ने बताया कि बच्ची को रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी है। यह इनक्यूबेटर में ऑक्सीजन के अत्याधिक डोज के कारण हुई।

इसके बाद शैलेंद्र ने अस्पताल के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाते हुए म.प्र. राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में केस कर दिया। 19 साल तक केस चलते रहा अंत में आयोग ने अस्पताल को बच्ची की आंखों की रोशनी जाने के लिए जिम्मेदार पाया। आयोग ने अस्पताल से 60 दिन के भीतर 40 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान करने को कहा है। इस राशि पर 12 अप्रैल 2004 से आज तक का 6% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज का भी भुगतान करने को कहा है। यदि अस्पताल 60 दिन के अंदर राशि नहीं देता तो 8% का ब्याज देना होगा।