एडवोकेट एक्ट में बदलाव के विरोध में उतरे देशभर के वकील, दिल्ली हाईकोर्ट के वकील सोमवार को नहीं करेंगे काम
बिल का विरोध दिल्ली से शुरू होकर देश के 14 राज्यों में फैल गया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने केंद्र सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग की है। अगर केंद्र सरकार बिल वापस नहीं लेती तो वकील देशभर में अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अधिवक्ता अधिनियम 1961 में संशोधन का प्रस्ताव जारी किया है। इसके तहत वकीलों के हड़ताल करने पर रोक लगाने का प्रस्ताव भी रखा गया है। इस प्रस्ताव के खिलाफ देशभर के वकीलों ने हड़ताल कर दी।
बिल का विरोध दिल्ली से शुरू होकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित देश के 14 से अधिक राज्यों में फैल गया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने केंद्र सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग की है। अगर केंद्र सरकार बिल वापस नहीं लेती तो वकील देशभर में अनिश्चिकालीन हड़ताल करेंगे।
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दरअसल, नए बिल की धारा 35A वकील या वकीलों के संगठन को कोर्ट का बहिष्कार करने, हड़ताल करने या वर्क सस्पेंड करने से रोकती है। इसका उल्लंघन वकालत के पेशे का मिसकंडक्ट माना जाएगा और इसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकेगी। इसी को लेकर वकीलों में आक्रोश है और वे आंदोलित हैं।
इसके अलावा बिल में एक नई धारा 33A जोड़ी गई है। इसके मुताबिक अदालतों, ट्रिब्यूनल और अन्य प्राधिकरणों में वकालत करने वाले सभी वकीलों को उस बार एसोसिएशन में पंजीकरण कराना होगा, जहां पर वे वकालत की प्रैक्टिस करते हैं।
शहर बदलने पर वकील को 30 दिन के अंदर बार एसोसिएशन को बताना होगा। कोई वकील एक से ज्यादा बार एसोसिएशन का सदस्य नहीं हो सकेगा। वकील को केवल एक ही बार एसोसिएशन में मतदान करने की अनुमति होगी। इसे वकील उनकी आजादी और वोट के अधिकार में केंद्र का दखल मान रहे हैं।
शनिवार को दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी की बैठक हुई। इस बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है कि अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 के विरोध में 24 फरवरी को बार एसोसिएशन के सदस्य वर्चुअली या फिजिकली रूप से न्यायिक काम में हिस्सा नहीं लेंगे।
इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने पूरे देश में प्रस्तावित विधेयक को लेकर जो विरोध चल रहा है, उस विरोध को लेकर एकजुटता जताई है। दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों का आरोप है कि इस संशोधन के माध्यम से केंद्र सरकार ने अधिवक्ताओं के अधिकार और विशेषाधिकार को कम करने का प्रयास किया है।
बार एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि प्रस्तावित संशोधन उन्हें विरोध प्रदर्शन के दौरान हड़ताल करने के उनके अधिकार से वंचित करता है. नतीजतन, बार काउंसिल ने बैठक में फैसला किया कि एक दिन का काम रोककर विधेयक का विरोध किया जाएगा।
इससे पहले बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे पत्र में बार काउंसिल ऑफ के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा जो भाजपा से राज्यसभा सांसद भी हैं ने चिंता व्यक्त की कि यह विधेयक बार की स्वायत्तता और स्वतंत्रता को कमजोर कर सकता है।