जबलपुर हाई कोर्ट ने नर्सों की हड़ताल को अवैध करार दिया, गुरुवार से काम पर लौटने का आदेश

कोर्ट ने सरकार को नर्सों की मांगों के निराकरण के लिए हाईलेवल कमेटी बनाने का आदेश दिया, 4 सदस्यीय कमेटी को एक महीने में देना होगा जबाव, प्रदेश की करीब 25 हजार नर्सों हड़ताल पर थीं

Updated: Jul 08, 2021, 09:59 AM IST

Photo Courtesy: live law
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जबलपुर। मध्यप्रदेश में सप्ताह भर से जारी नर्सों की हड़ताल को जबलपुर हाई कोर्ट ने अवैध करार दिया है। कोर्ट ने इसे आवश्यक सेवाएं मानते हुए कल से काम पर लौटने का आदेश दिया है। प्रदेश भर की नर्सें अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठी हैं। कोर्ट ने सरकारी अधिसूचना के आधार पर इस हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है।

कोर्ट ने प्रदेशभर की हड़ताली नर्सों को 24 घंटे में अपनी ड्यूटी पर काम पर लौटने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि एक हाई पावर कमेटी गठित कर एक महीने में नर्सिंग एसोसिएशन की सभी मांगों पर विचार करे और उस पर फैसला ले। इस हाई पावर कमेटी में डायरेक्टर हेल्थ और वित्त सचिव समेत चार मेंबर्स को शामिल किया जाएगा। एक हफ्ते से नर्सों की हड़ताल की वजह से अस्पतालों में बदहाली का आलम था, मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।

 दरअसल नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने नर्सों की हड़ताल को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी मांग थी कि नर्सों की कोरोना काल में हो रही इस हड़ताल को जल्द से जल्द रोका जाए। जिसके बाद  हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और नर्सिंग एसोसिएशन से जवाब तलब किया था।

5 जुलाई को सरकार ने कोर्ट में दिए जबाव में कहा था कि 50 फीसदीं नर्सों ने काम शुरू कर दिया था, वहीं 50 प्रतिशत नर्सों का विरोध प्रदर्शन जारी है। सरकार ने चेतावनी जारी की थी कि अगर नर्सें काम पर नहीं लौटती तो कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

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नर्सें प्रदेश में उच्च स्तरीय वेतनमान, पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने, कोरोना ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वालों के परिवारों को अनुकंपा नियुक्ति, 2018 आदर्श भर्ती नियम में संशोधन, मेडिकल कॉलेजों में मेल नर्स की भर्ती समेत कई मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। अब कोर्ट के अल्टीमेटम के बाद नर्सों को गुरुवार से काम पर लौटना होगा।