दिग्विजय सिंह के शासनकाल में साक्षरता दर में हुई थी रिकॉर्ड वृद्धि, पूर्व सीएम ने आंकड़े जारी कर BJP को घेरा

केंद्र सरकार की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक दिग्विजय सिंह के कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश में पुरुष साक्षरता दर में 18 फीसदी जबकि महिला साक्षरता दर में 21 फीसदी की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई।

Updated: Sep 11, 2023, 02:56 PM IST

भोपाल। विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस सभी मोर्चों पर शिवराज सरकार की विफलता उजागर कर रही है। इसी बीच अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने साक्षरता दर को लेकर राज्य सरकार को निशाने पर लिया है। सिंह ने पूछा है कि तमाम साधनों, संसाधनों व भारी बजट के बाद भी प्रदेश की साक्षरता दर में मामूली बढ़ोत्तरी क्यों हुई? सिंह ने आंकड़े जारी कर यह भी बताया है कि उनके कार्यकाल के साक्षरता दर में 19 फीसदी की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई थी।

दरअसल, केंद्र सरकार की जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक साल 1991 से 2001 के बीच अविभाजित मध्य प्रदेश की साक्षरता दर में 19 फीसदी की वृद्धि हुई। इस दौरान पुरुष साक्षरता दर में 18 फीसदी जबकि महिला साक्षरता दर में 21 फीसदी की रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई। यह वो दौर था जब छत्तीसगढ़ भी मध्य प्रदेश का ही हिस्सा था और दिग्विजय सिंह अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। जबकि 2001 से 2011 के बीच पुरुष साक्षरता दर में महज 3 फीसदी और महिला साक्षरता दर में 8.9 फीसदी बढ़ोतरी हुई। इस दौरान राज्य में भाजपा की सरकार रही और अधिकांश समय शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बताया कि किस तरह उनकी सरकार ने अपने विजन पर मिशन की तरह काम करके प्रदेश के नागरिकों को साक्षर बनाने के प्रयास में वर्ष 1993 से 2003 के बीच शिक्षा गारंटी योजना लागू की जिससे मध्य प्रदेश की साक्षरता दर में 19 प्रतिशत की रिकॉर्ड वृद्धि हुई। सिंह के मुताबिक कांग्रेस सरकार ने राजीव गांधी शिक्षा मिशन, पढ़ना बढ़ना व शिक्षा गारंटी जैसी योजनाओं पर ईमानदारी से किए अपने प्रयासों से नए मानक स्थापित किए और पुरुष साक्षरता दर में 18 प्रतिशत की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की। वहीं महिलाओं की शिक्षा में मध्यप्रदेश की महिला साक्षरता दर में 21% का उछाल देखने को मिला।

सिंह ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हम अविभाजित मध्य प्रदेश की साक्षरता दर को एक दशक में सीमित संसाधनों के बावजूद 19% आगे ले गए परंतु क्या कारण है कि दो दशक की भाजपा सरकार में तमाम साधनों, संसाधनों व भारी बजट के बाद भी प्रदेश की साक्षरता दर में मामूली बढ़ोत्तरी हुई?

मामले पर कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कहा, 'बीजेपी जानती है कि लोग शिक्षित हो जाएंगे तो उन्हें वोट नहीं करेंगे, पढ़-लिख जाएंगे, समझ जाएंगे तो बीजेपी को वोट नहीं करेंगे। बीजेपी का यही विश्वास रहा इसी कारण बीजेपी ने शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया। संसाधन बढ़े लेकिन, साक्षरता नहीं बढ़ा पाए। दिग्विजय सिंह इंजीनियर हैं और साक्षरता समझ रहे थे, इसलिए वे शिक्षा पर काम कर रहे थे।'