मध्य प्रदेश सरकार ने 45 लाख रुपए में किया स्टेट हेलीकॉप्टर का बीमा, जल्द खरीदेगी नया विमान

मध्य प्रदेश में विमानन विभाग ने राज्य के डबल इंजन स्टेट हेलीकॉप्टर एयरबस ईसी 155 बी1 का बीमा करवाने के लिए 45 लाख रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

Updated: Oct 30, 2024, 05:36 AM IST

मध्य प्रदेश में विमानन विभाग ने राज्य के डबल इंजन स्टेट हेलीकॉप्टर एयरबस ईसी 155 बी1 का बीमा करवाने के लिए 45 लाख रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। विभाग ने इस उद्देश्य से बिड जारी की थी, जिसमें तीन बीमा कंपनियों ने भाग लिया, और फिर न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी की सबसे कम बोली को स्वीकृत किया गया। इस बीमा से स्टेट हेलीकॉप्टर के लिए एक सुरक्षा कवच मिलेगा, जिससे किसी भी आकस्मिक स्थिति में होने वाले नुकसान को कवर किया जा सकेगा।

 

यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2021 में बिना बीमा के उड़ रहा राज्य का एक विमान ग्वालियर एयरबेस पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दुर्घटना में 60 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था और विमान इतना ज्यादा क्षतिग्रस्त हुआ कि उसकी मरम्मत कर पाना मुश्किल था। इस दुर्घटना के बाद सरकार को तत्काल एक हेलीकॉप्टर किराए पर लेना पड़ा, जिसके लिए 25 करोड़ रुपए का खर्च आया। इन घटनाओं से सीख लेते हुए, सरकार अब अपने विमान और हेलीकॉप्टरों के लिए बीमा सुनिश्चित करने में जुटी है।

 

इसके साथ ही मप्र सरकार ने अब एक नए अत्याधुनिक विमान की खरीद की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। सरकार बॉम्बार्डियर कंपनी का आधुनिक 3500 मॉडल प्लेन 234 करोड़ रुपए की लागत से खरीदने जा रही है। इस विमान को विश्व स्तर पर अपनी तकनीकी उत्कृष्टता और उन्नत सुविधाओं के लिए जाना जाता है। नए विमान की खरीद का निर्णय कैबिनेट से मंजूर हो चुका है, और सरकार जल्द ही इसे आधिकारिक तौर पर प्राप्त करने की योजना बना रही है। 2021 की दुर्घटना के बाद से सरकार के पास अपना कोई विमान नहीं था, इसलिए नया विमान सरकारी यात्राओं और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए खरीदा जा रहा है।

 

इसके अतिरिक्त, मप्र सरकार नए हेलीकॉप्टर की खरीद की प्रक्रिया में भी है। यह निर्णय भी इसलिए लिया गया है क्योंकि पुराने हेलीकॉप्टरों की मेंटेनेंस और सुरक्षा के लिए उन्हें बदलना जरूरी हो गया था। 2019 में, राज्य सरकार ने 21 और 16 साल पुराने दो हेलीकॉप्टरों को कुल 8.7 करोड़ में बेच दिया था। हालांकि, पहले नीलामी की कीमत 33 करोड़ रखी गई थी, लेकिन बाद में उन्हें कम कीमत पर बेचना पड़ा।