MP: रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसा, BJP नेता कपिल मिश्रा भी थे मौजूद, मस्जिद के बाहर डीजे बजाने से पनपा विवाद

मध्य प्रदेश के खरगोन में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प, एसपी समेत कई पुलिसकर्मी भी घायल, शहर में तनाव, धारा 144 लागू, दिल्ली दंगों के बाद सुर्खियों में आए कपिल मिश्रा भी थे मौजूद

Updated: Apr 11, 2022, 10:25 AM IST

खरगोन। मध्य प्रदेश के खरगोन में तमाम सख्तियों के बावजूद रामनवमी जुलूस पर सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई। बताया जा रहा है कि दो समुदायों के बीच झड़प के बाद शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है। खरगोन एसपी समेत कई पुलिसकर्मियों के भी घायल होने की सूचना है। बताया जा रहा है कि दिल्ली दंगों को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहे बीजेपी नेता कपिल मिश्रा भी जुलूस में शामिल थे

शुरुआती जानकारी के मुताबिक यह विवाद मस्जिद के बाहर डीजे बजाने को लेकर उत्पन्न हुआ। बताया जा रहा है कि जब रामनवमी का जुलूस पूर्व निर्धारित तालाब चौक के रास्ते निकल रहा था। यहां मुस्लिम समुदाय के लोग स्वागत में भी खड़े थे। लेकिन जुलूस ने तय रूट के बजाए नया रूट लिया और एक मस्जिद के सामने रोककर लोगों ने डीजे की धुन पर नाचना शुरू कर दिया।

काफी देर तक जब डीजे मस्जिद के बाहर खड़ी रही तब मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आपत्ति जाहिर की। बताया जा रहा है कि उन्होंने नमाज़ का समय होने का हवाला देते हुए कहा कि अब शोभा यात्रा को आगे बढ़ाओ। इसी दौरान दोनों पक्षों में कहासुनी हो हुई और पथराव शुरू हो गया। यह बात पूरे शहर में आग की तरह फैली और जगह-जगह पर मारपीट और पथराव शुरू हो गया। इस दौरान कई वाहन फूंक दिए गए। बताया जा रहा है कि कई लोग घायल हुए हैं।

हैरानी की बात ये है कि रामनवमी जुलूस में दिल्ली दंगों को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहे बीजेपी नेता कपिल मिश्रा भी शामिल थे। कपिल मिश्रा ने शोभा यात्रा शुरू होने से पहले भड़काऊ ट्वीट्स भी किए थे। उन्होंने अपनी तस्वीरें डालकर लिखा था कि "ना मूसा ना बुरहान, बस जय जय श्री राम"

कर्नाटक, राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश तीसरा ऐसा राज्य है जहां लगातार सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं सामने आ रहे हैं। इन तीनों ही राज्यों में अगले साल चुनाव भी है। इन सांप्रदायिक घटनाओं के पैटर्न से स्पष्ट है कि इनका मकसद राजनीतिक है। संगठन विशेष से जुड़े लोग ध्रुवीकरण के माध्यम से राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं। खरगोन की घटना को देखकर प्रतीत होता है जैसे यह पूरी तरह से सुनियोजित हो।

प्रशासन को रामनवमी पर शोभायात्रा निकलने की सूचना थी, लेकिन उसने एहतियातन कोई कदम नहीं उठाया। रमजान के महीने में मस्जिद के बाहर देर तक डीजे बजाने का परमिशन प्रशासन ने दिया था या नहीं इस संबंध में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। हालांकि, विवाद शुरू होने के दौरान प्रशासन की सक्रियता कम रही। बाद में अधिकारियों ने जब मोर्चा संभाला तब तक मामला बढ़ चुका था। यदि प्रशासन ने शोभा यात्रा के दौरान अतिरिक्त पुलिस का प्रबंध किया होता तो शायद हिंसा बड़े पैमाने पर फैलने से रोका जा सकता था।