मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों से अभिभावकों का मोहभंग, 5500 स्कूलों में एक भी एडमिशन नहीं

मध्य प्रदेश में शिक्षा की बिगड़ती गुणवत्ता के कारण इस साल 7 लाख विद्यार्थियों का नामांकन घटा है। निशुल्क किताबें, गणवेश और मध्याह्न भोजन जैसी सुविधाएं के बावजूद शासकीय स्कूलों पर पालकों का भरोसा नहीं मिल रहा।

Updated: Sep 26, 2024, 06:55 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में बदहाल स्कूली शिक्षा की कहानी किसी से छिपी नहीं है। राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए लगातार कागजी प्रयास हो रहे हैं, लेकिन यह सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं। नतीजतन शासकीय शालाओं में विद्यार्थियों की संख्या लगातार घटती जा रही है। यही कारण है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल करीब 7 लाख विद्यार्थियों ने कम प्रवेश लिया है, जबकि नई शिक्षा नीति के अनुसार इसमें कई बदलाव किए हैं।

स्कूलों में निशुल्क किताबें, गणवेश और मध्याह्न भोजन जैसी सुविधाएं देने के साथ ही नामांकन बढ़ाने के लिए स्कूल चलें हम और गृह संपर्क अभियान भी चलाया गया। इसके लिए मंत्री व जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारी तक मैदान में उतरे, लेकिन पालकों का भरोसा नहीं जीत पाए। नतीजतन जमीनी हकीकत "सरकारी स्कूल नहीं चले हम" वाली हो गई है। राज्य शिक्षा विभाग के आंकड़े देखें तो ऐसा ही लगता है।

सरकारी आंकड़े ही बताते हैं कि इस साल राज्य में साढ़े पांच हजार से ज्यादा स्कूलों में पहली क्लास में एक भी बच्चे ने दाखिला नहीं लिया है। इसके अलावा 25 हजार स्कूल ऐसे हैं जहां सिर्फ एक या दो बच्चों ने ही पहली क्लास में नामांकन कराया है। विस्तृत आंकड़े जो तस्वीर पेश करते हैं वो और भी निराशाजनक है। कुल मिलाकर इससे यही संकेत मिलता है कि मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों से लोग कन्नी काटने लगे हैं।

सरकारी स्कूलों में इस खराब स्थिति के पीछे जिम्मेदार शिक्षा विभाग के अधिकारी और टीचरों की लापरवाही तो है ही साथ ही साथ स्कूलों की जर्जर स्थिति भी एक बड़ी वजह है। सरकारी दस्तावेज ही बताते हैं कि राज्य के 7189 स्कूलों को मरम्मत की ज़रूरत है। इसके साथ ही शिक्षकों की कमी भी सरकारी स्कूलों की खराब हालत के लिए जिम्मेदार है।

राज्य शिक्षक संघ के अध्यक्ष उपेंद्र कौशल की मानें तो शिक्षकों की ड्यूटी अक्सर गैर शैक्षणिक कामों में लगा दी जाती है। इससे स्कूल में पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके अलावा कई बार इन शिक्षकों को अलग-अलग विभागों में अटैच भी कर दिया जाता है।