केंद्र द्वारा भेजे गए 1.98 लाख तिरंगे रिजेक्ट, जांच में 99 फीसदी झंडे गड़बड़, गुजराती फर्म को मिला था ठेका

मध्य प्रदेश के सतना में केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए झंडे मानकों के विपरीत निकले, आकार और डिजाइन में निकली कई खामियां, कांग्रेस बोली- जब राष्ट्रीय प्रतीकों का व्यापार होने लगता है तो इसी तरह के घोटाले सामने आते हैं

Updated: Aug 04, 2022, 11:02 AM IST

सतना। केंद्र सरकार द्वारा बहुप्रचारित हर घर तिरंगा अभियान के तहत गुजरात से सतना भेजे गए 1.98 लाख झंडे रिजेक्ट हो गए हैं। सतना कलेक्ट्रेट में हुई रैंडम जांच के बाद इन्हें वापस लौटा दिया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 24 हजार झंडों का परीक्षण किया गया था जिसमें महज 194 ध्वज ही तय मापदंडों के अनुकूल पाये गए। यानी 99 फीसदी से अधिक झंडे मानकों के विपरीत निकले।

रिपोर्ट्स के मुताबिक मध्य प्रदेश के सतना जिले में 5 लाख घरों में स्वतंत्रता दिवस पर झंडे फहराए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिला प्रशासन द्वारा कुछ झंडे स्थानीय स्तर पर स्व सहायता समूहों की महिलाओं से तैयार कराए जा रहे हैं। जबकि जिला प्रशासन ने भारत सरकार से 2 लाख झंडे उपलब्ध कराने का आग्रह किया था। केंद्र सरकार की ओर से करीब 1.98 हजार झंडे सतना भेजे गए।

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बताया जा रहा है कि 31 जुलाई को इन झंडों को लेकर गुजरात एक ट्रक सतना पहुंचा था। अधिकारियों ने जब एक बंडल खोला तो वे यह देखकर हैरान रह गए की अधिकांश झंडे अमानक हैं। किसी झंडे का आकार गड़बड़ था तो किसी का चक्र गोलाकार न होकर अंडाकार निकला। किसी में चक्र बीच में न होकर किनारे पर था। इतना ही नहीं बीच की श्वेत पट्टी श्वेत न होकर क्रीम कलर की मिली। कई ध्वज बीच से अथवा किनारे से फटे हुए भी थे। 

ध्वज संहिता के विपरीत मिले झंडों को इस तरह लोगों के बीच वितरण नहीं किया जा सकता था। लिहाजा सभी बंडलों में मौजूद झण्डों का रैण्डम परीक्षण का निर्णय लिया गया। महिला बाल विकास विभाग के अमले ने 24 हजार झंडों की जांच की जिसमें से महज 194 राष्ट्रीय ध्वज सही पाए गए। अर्थात रैण्डम परीक्षण में सिर्फ 0.80 फीसदी ध्वज तय मापदण्डों के अनुरूप मिले बाकी 99.2 फीसदी झंडे ध्वज संहिता का उल्लंघन कर रहे थे।

केंद्र सरकार ने गुजरात के किसी कंपनी को इन झंडों को बनाने के लिए ठेका दिया था। लिहाजा गुजरात से पहुंची झंडों की खेप को जिला प्रशासन ने रिजेक्ट कर वापस भेज दिया। नोडल अधिकारी सौरभ सिंह के मुताबिक यह झंडे किस फर्म अथवा वेंडर ने भेजे थे इस बात की उन्हें जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि झंडों के रिजेक्शन के बाद अब स्थानीय स्तर पर ही स्व सहायता समूह की महिलाओं को तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। 

राष्ट्रीय ध्वज के मानदंडों के साथ हुई इस लापरवाही को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे ध्वज घोटाला बताया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आनंद जाट ने कहा कि, 'महात्मा गांधी ने तिरंगे को जन जन तक पहुंचाया, पंडित नेहरू ने तिरंगे के लिए लहू बहाया, इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान में तिरंगा फहराया, राजीव गांधी ने सियाचिन में तिरंगा लहराया और बीजेपी ने तिरंगा बिक्री केंद्र खुलवाया।'

उन्होंने आगे कहा कि, 'तिरंगा 22 जुलाई 1947 को भारत का राष्ट्रीय ध्वज बना तब से लेकर आजतक भाजपा और इसके वैचारिक पुरखों ने तिरंगे को कभी राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार नहीं किया हैं। सतना की जो घटना सामने आई है उससे यह प्रतीत होता है कि जो 0.80 फीसदी मानक तिरंगे हैं उन्हें गांधीवादियों ने बनाए हों, शेष तिरंगे उन्होंने बनाए होंगे जिनका तिरंगे के प्रति कोई सम्मान और योगदान अबतक नहीं रहा है। जब राष्ट्रीय प्रतीकों का व्यापार होने लगता है तो इसी तरह के घोटाले सामने आते हैं।'