मानवता की सेवा को अपना धर्म मानती हैं एएनएम मीना, 10 हजार लोगों को लगा चुकी हैं टीका

सिहोर जिला अस्पताल में एएनएम मीना सोनी ने लोगों की सेवा को ही मान लिया अपना धर्म, बिना रुके पिछले एक साल से लड़ रही हैं कोरोना से लड़ाई

Updated: Apr 13, 2021, 01:03 PM IST

सीहोर। देशभर में कोरोना के कहर की वजह से भयावह मंजर देखने को मिल रहा है। मध्यप्रदेश भी इस महामारी से जूझ रहा है। अस्पतालों में चीख-पुकार मची हुई है और सुनसान रहने वाले शमशान और कब्रिस्तान गुलजार हैं। भयंकर नकारात्मकता के इस माहौल के बीच हम आपको बताने जा रहे हैं मध्यप्रदेश के सीहोर निवासी मीना सोनी की कहानी। एक महिला जो अंधेरे को चीरकर उजाले की ओर जाने की उम्मीद लिए पिछले एक साल से बिना थके कोरोना से इस जंग में अपना योगदान दे रही हैं।

सोनी मीना सिहोर जिला अस्पताल में एएनएम के पद पर नियुक्त हैं। वर्तमान में जब से देशभर में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू हुआ है सिहोर में टीकाकरण की जिम्मेदारी उन्हें दी गई है। सोनी अबतक एक दो नहीं बल्कि 10 हजार से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगा चुकी हैं। वह कहती हैं कि, 'मानवता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। मुझे ईश्वर ने यह सौभाग्य दिया है कि कोरोना के दौर में लोगों की सेवा कर सकूं। मुझे लोगों की सेवा का सुनहरा अवसर मिला है। मैं इस अवसर का एक-एक पल बिना रुके और बिना थके लोगों की सेवा में लगाउंगी।' 

पिछले एक साल के अपने अनुभवों के बारे में बात करते हुए कहा मीना बताती हैं कि जब किसी की कोरोना रिपोर्ट पाॅजिटीव आती है तो वह व्यक्ति और उसका परिवार बुरी तरह से डर जाता है। हमें सिर्फ पीड़ित को इलाज ही नहीं उनके परिवार को संबल भी देना होता है कि सब ठीक हो जाएगा। परिजनों को यह विश्वास दिलाना मुश्किल होता है कि हम इलाज और मरीज की सेवा के लिए हमेशा खड़े हैं उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है।'

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पिछले साल को याद करते हुए वह कहती हैं कि जब अप्रैल में कोरोना संक्रमण का फैलाव शुरू हुआ था तब तब मैं घर-घर जाकर सर्वे करती थी। सर्वे के दौरान कई लोग ऐसे भी मिले जिन्हें यह विश्वास दिलाना मुश्किल होता था कि उनके ही स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए ही ये सब किया जा रहा है। मीना बताती हैं कि उन्होंने कन्टेमेंट क्षेत्रों में जाकर जांच और दवा वितरण का भी काम किया। वह मानती हैं कि एक साल बाद अब कोरोना को लेकर थोड़ी जागरूकता आई है और लोग स्वयं अपना सैंपल देने आ रहे हैं।'

वह बताती हैं कि इस काम में सबसे सुखद मरीज को स्वस्थ होते देखना होता है जब स्वस्थ्य होकर अस्पताल से जाते समय मरीज और उनके परिजन हमें ढेरों दुआएं देते हैं। वो कहती हैं कि ये दुआएं हमारे लिए अनमोल हैं और हमें ताकत देती हैं। टीकाकरण अभियान को लेकर मीना कहती हैं कि शुरुआती दिनों में जो लोग टीका लगवाने आ रहे थे उनके मन में थोड़ा संशय था, लेकिन जब टीके के महत्व के बारे में उन्हें बताया जाता तो उनके चेहरे पर चमक आ जाती थी। लेकिन अब तो टीका लगाने के लिये लोग आतुर हैं।' लोगों का टीकाकरण को लेकर उत्साह और स्वाथ्य अमले के मनोबल को देखते हुए सोनी को विश्वास है कि जल्द ही कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में मानवता की जीत होगी।