MP में हड़ताल पर गए 92 हजार से ज्यादा वकील, 3 महीने में 25 केस निपटाने के आदेश के खिलाफ लामबंद

हाई कोर्ट चाहता है कि निचली अदालतों में 3 महीने में पांच साल पुराने 25 प्रकरणों का निराकरण अनिवार्य रूप से किया जाए। इसके विरोध में वकीलों ने मोर्चा खोल दिया है।

Updated: Mar 23, 2023, 04:11 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के वकील हाईकोर्ट द्वारा निचली अदालतों को दिए एक आदेश से बेहद खफा हैं। उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ वकीलों ने आरपार की लड़ाई शुरू कर दी है। मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद के आव्हान पर प्रदेशभर के 92 हजार से ज्यादा वकील गुरुवार से हड़ताल पर चले गए हैं। वकीलों ने तीन दिवसीय हड़ताल का ऐलान किया है।

दरअसल, मध्य प्रदेश में निचली अदालतों में वर्षों से लाखों की संख्या में मुकदमें लंबित हैं। प्रदेश भर में पेंडिंग केसों की संख्या 19 लाख 78 हजार के करीब है। अकेले ग्वालियर में 76901 मामले लंबित है। ऐसे में हाईकोर्ट ने लंबित मुकदमों की संख्या कम करने की मंशा से निचली अदालतों को 3 महीने में पांच साल पुराने 25 प्रकरणों का अनिवार्य रूप से निराकरण का निर्देश दिया। इसी के खिलाफ स्टेट बार काउंसिल ने मोर्चा खोल दिया है।

स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्य प्रदेश ने शनिवार को इस आदेश के विरुद्ध एक प्रस्ताव पारित कर 23 मार्च से पूरे प्रदेश की अदालतों में प्रतिवाद दिवस मनाने का निर्णय लिया है। वकीलों का तर्क है कि किसी भी केस की सुनवाई के लिए कागजी खानापूर्ति में वक्त लगता है। अचानक से समय सीमा में बांधकर मुकदमे का निराकरण करना पक्षकारों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। 

मामले पर स्टेट बार काउन्सिल के अध्यक्ष एडवोकेट प्रेम सिंह भदौरिया ने कहा, 'मुख्य न्यायाधिपति ने अपने उच्च न्यायालयों में केस की पेंडेंसी पर कभी ध्यान नहीं दिया लेकिन अधीनस्थ  न्यायालयों के लिए तीन महीने में निराकरण का आदेश दे दिया। जिला न्यायालयों पर दबाव बनाया जा रहा है। हर व्यक्ति अपने प्रकरण में एक अच्छा वकील चाहता है ये उसका अधिकार भी है लेकिन मुख्य न्यायाधिपति ने आदेश दिया है कि आपको 3 महीने में 25 केसों का निराकरण करना है, जो व्यवहारिक नहीं है।'