एमपी विधानसभा के 16 और कर्मचारी कोरोना पॉज़िटिव, अब तक 50 कर्मचारी संक्रमित
सोमवार से शुरू होना है तीन दिन का शीतकालीन सत्र, इसके पहले ही इतनी संख्या में कोरोना संक्रमितों के मिलने पर कांग्रेस लगा चुकी है सत्र नहीं चलाने के लिए सरकारी साज़िश का आरोप

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के 16 और कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो गए हैं। इन सोलह कर्मचारियों को मिलाकर अब तक विधानसभा के कुल 50 कर्मचारी कोरोना पॉज़िटिव हो चुके हैं। विधानसभा के 34 कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित होने की खबर सुबह ही आ चुकी है। इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित होने से विधानसभा के कर्मचारियों में घबराहट फैल गई है। इस तरह जिन 77 विधानसभा कर्मचारियों की कोरोना जांच पहले हुई थी, उनमें से अब तक 50 कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। शुक्रवार को 55 और कर्मचारियों की जांच भी कराई गई थी, जिनकी रिपोर्ट अभी आनी है। इस बीच कांग्रेस ने सरकार पर कोरोना की आड़ लेकर शीतकालीन सत्र को ठीक से संचालित न करने की साज़िश रचने का आरोप भी लगाया है।
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पॉजिटिव आए कर्मचारियों में अधिकतर की तैनाती MLA रेस्ट हाउस में थी, जहां विधायक और उनके साथ आने वाला स्टाफ रुकता है। इन सभी का पहले रैपिड एंटीजन टेस्ट किया गया था और बाद आरटीपीसीआर भी कराया गया। बताया जा रहा है कि ये सभी कर्मचारी लगातार काम पर आ रहे थे। इनमें कुछ को सामान्य सर्दी-खांसी है, जबकि कुछ को कोरोना के कोई भी लक्षण नहीं हैं। 55 अन्य कर्मचारियों की जांच शुक्रवार को हुई है जिनकी रिपोर्ट आज आनी है।
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टाला जाएगा शीतकालीन सत्र
मध्य प्रदेश विधानसभा का तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र 28 दिसंबर से शुरू हो रहा है। उससे महज दो दिन पहले इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित होने से सत्र पर खतरा मंडराने लगा है। शीतकालीन सत्र को लेकर आज दोपहर 2 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। बैठक के दौरान इस बात पर चर्चा होगी कि सत्र स्थगित किया जाए या बुलाया जाए। मौजूदा हालात में एक दिवसीय सत्र के आयोजन की संभावना भी बढ़ गई है। अगर सत्र चलता भी है तो उसका प्रोटोकॉल क्या होगा और कितने विधायकों को बुलाया जाए इस पर भी चर्चा संभव है।
51 विधायकों की उम्र 60 साल से ज्यादा
चिंता की बात यह है कि प्रदेश के विधानसभा में 51 विधायक ऐसे हैं जिनकी उम्र 60 वर्ष से ज्यादा है। लिहाजा वे हाई रिस्क ग्रुप में आते हैं। कोरोना काल में अबतक प्रदेश के 47 विधायक कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इनमें सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत एक दर्जन कैबिनेट मंत्री भी शामिल हैं। वहीं एक विधायक गोवर्धन दांगी की कोरोना की वजह से मौत भी हो चुकी है। ऐसे में शीतकालीन सत्र के दौरान कोरोना के खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
कोरोना के प्रकोप को देखते हुए विधानसभा की ओर से विधायकों को पहले भी कुछ गाइडलाइन्स दी जा चुकी हैं। इसके तहत विधायकों से कहा गया है कि उन्हें अपने साथ कोविड-19 टेस्ट का सर्टिफिकेट लाना अनिवार्य है। साथ ही अगर कोई स्टाफ आता है तो उसके पास भी कोरोना जांच रिपोर्ट होनी चाहिए। बिना रिपोर्ट के परिसर के अंदर आने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बता दें कि सत्ता में वापसी के बाद शिवराज सरकार के कार्यकाल में अबतक सिर्फ एक दिन का ही विधानसभा सत्र हो पाया है।
कमलनाथ के कार्यकाल में बीजेपी को नहीं दिखता था कोरोना
यहां यह याद करना दिलचस्प होगा कि सत्ता में आने के बाद से कोरोना के कारण विधानसभा सत्र टालने या महज एक दिन का सांकेतिक सत्र बुलाने में मुस्तैदी दिखाने वाले शिवराज सिंह चौहान कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में इससे ठीक उलट राय रखते थे। मार्च में जब वे कमलनाथ सरकार को दलबदल के दम पर गिराने की कोशिशों में दिन रात जुटे थे, तब उन्हें कोरोना का खतरा कहीं नज़र नहीं आता था। इतना ही नहीं, मार्च में जब कोरोना के बढ़ते खतरे के मद्देनज़र विधानसभा के बजट सत्र को दस दिन के लिए टालने का फैसला किया गया था, तो शिवराज चौहान ने उसकी कड़ी आलोचना की थी। तब वे कहते थे कि कमलनाथ कोरोना की आड़ ले रहे हैं और कोरोना भी उनकी सरकार को बचा नहीं पाएगा। उस वक्त बीजेपी को कोरोना से ज्यादा किसी भी तरह मध्य प्रदेश की लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार को गिराकर सत्ता हथियाने की फिक्र थी। बाद के दिनों में क्या हुआ, कोरोना ने किस तरह मध्य प्रदेश और पूरे देश को अपनी चपेट में लिया ये सबके सामने है।