छल से चुनाव लड़ने वालों के खिलाफ विक्रांत भूरिया के सख्त तेवर, संगठन से बाहर का दिखाया रास्ता

सिंधिया के साथ बीजेपी में चले जाने के बावजूद हर्षित सिंघई और उमंग शर्मा ने लड़ा था यूथ कांग्रेस का चुनाव, मामले पर यूथ कांग्रेस अध्यक्ष ने की बड़ी कार्रवाई

Updated: Dec 24, 2020, 12:55 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने छल से चुनाव लड़ने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। भूरिया ने हर्षित सिंघई और उमंग शर्मा का निर्वाचन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इन्होंने संगठनात्मक चुनाव में षडयंत्र पूर्वक हिस्सा लिया था।

पिछले हफ्ते जब मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस के संगठनात्मक चुनावों के नतीजे आए थे, तब हर्षित सिंघई को जबलपुर उत्तर मध्य विधानसभा का सचिव और उमंग शर्मा को सिवनी जिले का सचिव बनाया गया था। जबकि दोनों ही वर्तमान में बीजेपी के कार्यकर्ता हैं। हर्षित सिंघई ने खुद के सचिव बनाए जाने को लेकर नाटकीय ढंग से कांग्रेस के चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल भी उठाए थे।

यह बात जैसे ही मीडिया के माध्यम से सामने आई यूथ कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने तत्काल जांच-पड़ताल शुरू कर दी। जांच में पाया गया कि ये दोनों पूर्व में कांग्रेस से जुड़े थे और साल 2018 में संगठनात्मक चुनाव के दावेदार भी थे। लेकिन सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद बीजेपी में चले गए थे। बावजूद इसके उन्होंने छल से यूथ कांग्रेस के चुनाव में नामांकन भरा और अपने साथियों से खुद के लिए वोटिंग भी करवाए। जिसके बाद उन्हें पद पर नियुक्ति भी मिल गयी।

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मामले पर यूथ कांग्रेस अध्यक्ष ने तत्काल कार्रवाई कड़ते हुए उन्हें संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इस संबंध में यूवा कांग्रेस ने बयान जारी कर सारी बातें सामने रखी है। मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ने वाले विवेक त्रिपाठी ने वीडियो जारी कर कहा है की बीजेपी घबराई हुई है और वह हमारे संगठन को बदनाम करने का षड्यंत्र रच रही है, लेकिन हम विक्रांत भूरिया के नेतृत्व में एकजुटता से बीजेपी के सभी प्रयासों को विफल करेंगे।

मध्य प्रदेश में यूथ कांग्रेस के 3 लाख से ज्यादा सदस्य हैं, जिनमें एक तिहाई से ज्यादा सदस्यों ने ऑनलाइन वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। प्रदेश में युवा कांग्रेस के चुनाव की शुरूआत साल 2011 में हुई थी। सबसे पहले प्रियव्रत सिंह अध्यक्ष चुने गए थे, वहीं दूसरी बार कुणाल चौधरी को साल 2013 में अध्यक्ष चुना गया था। उसके बाद लगातार यह चुनाव टलता रहा। नतीजतन कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ही पिछले सात वर्षों से पद पर बने हुए थे।

विक्रांत भूरिया के जीत कई मायनों में अहम मानी जा रही है। पहली तो यह कि वो बहुत बड़े मार्जिन से यूथ कांग्रेस का चुनाव जीतकर आए हैं और दूसरे वो पहले आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधि हैं, जिन्हें यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बनने का मौका मिला है। इसलिए कांग्रेस का युवा और आदिवासी समुदाय उनकी तरफ काफी उम्मीद लगाए है।