MP के सिर्फ 2 विधायकों ने दिया संपत्ति का ब्यौरा, विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री भी भूले अपना संकल्प

साल 2019 में सदन में पारित किए गए संकल्प के मुताबिक हर साल 30 जून तक विधायकों को अपनी संपत्ति की जानकारी देनी है, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के विधायक संपत्ति का ब्यौरा देने से कतरा रहे हैं। सिर्फ कांग्रेस के 2 MLAs ने वित्त वर्ष 2021-22 की जानकारी दी है।

Updated: Sep 12, 2022, 08:52 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के विधायकों ने साल 2019 में एक संकल्प लिया था कि वह अपनी और अपने परिवार की संपत्ति की जानकारी 30 जून तक विधानसभा के प्रमुख सचिव को दे देंगे। हालांकि अब माननीय अपना ही संकल्प भूल गए हैं। प्रदेश के 99 फीसदी विधायकों ने अभी तक अपनी संपत्ति की जानकारी विधानसभा सचिव को नहीं दी है। हैरानी की बात ये है कि स्वयं विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी संपत्ति का ब्यौरा देने से कतरा रहे हैं। वहीं, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने संपत्ति का ब्यौरा सौंपकर मिसाल पेश की है।

मध्य प्रदेश विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध डिटेल्स के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में संपत्ति का ब्यौरा सिर्फ दो सदस्यों ने दी है। इनमें नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह और विधायक आरिफ मसूद शामिल हैं। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का वित्तवर्ष 2020-21 का संपत्ति का ब्यौरा उपलब्ध है। सीएम चौहान ने तो वित्तवर्ष 2019-20 तक का ही ब्यौरा दिया है। कुल 230 विधायकों में से सिर्फ 2 विधायकों ने ही पिछले वित्त वर्ष तक के संपत्ति की जानकारी सौंपी है। दोनों विधायक कांग्रेस के हैं। 

हैरानी की बात ये है कि स्वयं विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी सदन में लिए संकल्प को ठेंगा दिखा रहे हैं। मामले पर नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि, 'कई सदस्य भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इसलिए वे जानकारी नहीं दे रहे हैं। वे बाइक पर विधायक बनते है, फिर अकूत संपत्ति के मालिक बन जाते हैं। नैतिकता के आधार पर सभी को पूरी जानकारी सौंपनी चाहिए। आपने जो साल भर कमाया उसका ब्यौरा देना ज़रूरी है।'

बता दें कि 18 दिसंबर 2019 को मध्य प्रदेश विधानसभा में एक संकल्प पारित किया गया था। जिसमें विधायकों को हर साल अपनी संपत्ति की जानकारी विधानसभा को देनी थी। इस संकल्प को सर्व सम्मति से पारित किया गया था। इसके पीछे की मंशा ये थी कि जनप्रतिनिधियों की संपत्ति की जानकारी जनता के बीच जाएगी तो पारदर्शिता आएगी। नागरिकों के बीच विधायकों या मंत्रियों की संपत्ति को लेकर भ्रम नहीं फैलेगा। लेकिन मौजूदा स्थिति ये है कि विधानसभा सचिवालय द्वारा पत्र लिखकर कई बार विधायकों को याद भी दिलाया जा चुका है, बावजूद वे संपत्ति का ब्यौरा देने से कतरा रहे हैं।