चार हफ्ते में हटाएं भोपाल यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा, MP हाइकोर्ट का बड़ा आदेश
हाईकोर्ट ने यह चेतावनी भी जारी कि अगर कोई भी विभाग इस आदेश का पालन नहीं करता है, तो उनके प्रमुख सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी।
जबलपुर। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 40 साल से जमा यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे के निष्पादन में लापरवाही पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाई कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड परिसर का जहरीला कचरा एक माह में हटाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने यह चेतावनी भी जारी कि अगर कोई भी विभाग इस आदेश का पालन नहीं करता है, तो उनके प्रमुख सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी।
बुधवार को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से न्यायालय को बताया गया कि मध्य प्रदेश सरकार को एक साल पहले कचरे के वैज्ञानिक निष्पादन के लिए 126 करोड़ रुपए दिए गए थे। वहीं, राज्य शासन ने कहा कि ठेकेदार एजेंसी को 20 फीसदी एडवांस राशि का भुगतान भी कर दिया है, पर काम शुरू नहीं हुआ।
बीस साल से लंबित यह याचिका वर्ष 2004 में आलोक प्रताप सिंह ने दायर की थी। आलोक प्रताप सिंह की अब मौत हो चुकी है, इसलिए कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर बुधवार को सुनवाई की थी। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट नमन नागरथ ने कोर्ट को बताया कि 20 साल में हाईकोर्ट कई बार राज्य शासन को निर्देश दे चुका है, बावजूद इसके यूका फैक्ट्री परिसर में लगभग 350 मीट्रिक टन जहरीला कचरा जस का तस पड़ा हुआ है।
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से रीजनल ऑफिसर बृजेश शर्मा ने कोर्ट में उपस्थित होकर बताया कि जहरीले कचरे को इन्सीनरेटर में जलाकर नष्ट करने के लिए भोपाल से इंदौर के पास पीथमपुर में ले जाया जाना है, जिसके लिए प्रदूषण बोर्ड तैयार है। इससे पहले वर्ष 2015 में पीथमपुर रामकी एनवायरो इंजीनियर्स लिमिटेड के इन्सीनरेटर में 10 टन रासायनिक कचरे को जलाकर नष्ट करने का प्रयोग किया गया था, जो सफल रहा था।