Daly College Indore: धीरज‌ लुल्ला और संदीप पारेख जीते, देवराज और दिव्या गुप्ता को झटका

इंदौर के डेली कॉलेज का चुनाव परिणाम आया सामने, ODA कैटेगरी में जीते दोनों गुट के एक-एक प्रत्याशी

Updated: Dec 14, 2020, 08:45 PM IST

Photo Courtesy: Nai Dunia
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इंदौर। डेली कॉलेज में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के लिए हुए चुनाव में ओडीए कैटेगरी में धीरज‌ लुल्ला और संदीप पारेख ने बाजी मार ली है। धीरज लुल्ला ने जहां दिव्या गुप्ता को हराया है, वहीं संदीप पारेख ने देवराज बडगरा को शिकस्त दी है। न्यू डोनर कैटेगरी में हरपालसिंह भाटिया ने मानवीर सिंह बायस को हरा दिया है।

ओडीए कैटेगरी में सबसे ज्यादा 1843 वोट धीरज लुल्ला को मिले। उनके सामने खड़ी दिव्या गुप्ता को 1515 वोट मिले। इसी कैटेगरी में टीम इम्पैक्ट के संदीप पारिख को 1660 मत मिले और देवराज बड़गरा को 1647 वोट मिले। चुनाव अधिकारी राजेश सोनी ने दोनों प्रत्याशियों को जीत का प्रमाण पत्र दिया। न्यू डोनर कैटेगरी में हरपालसिंह भाटिया को 238 वोट मिले और मानवीर सिंह बायस को 97 मत से संतोष करना पड़ा। हरपाल 141 मतों से जीते।

चुने गए नए सदस्य

ओल्ड डोनर- नरेंद्र सिंह झबुआ और प्रियव्रत सिंह

सरकारी नॉमिनी- राजवर्धन सिंह और विक्रम सिंह

न्यू डोनर- मोनू भाटिया

ओडीए- धीरज‌ लुल्ला और संदीप पारेख

ऐसे होता है डेली कॉलेड बोर्ड का चुनाव

डेली कॉलेज के इस इलेक्शन को Old Dalians का चुनाव माना जाता है, लेकिन इसमें सभी शामिल होते है। इस चुनाव में 7 सदस्य चुने जाते हैं। दो ओल्ड डेलियन्स के प्रतिनिधि, दो ओल्ड डोनर्स के प्रतिनिधि, एक नए डोनर्स के प्रतिनिधि और दो सरकारी नॉमिनी के साथ डेली कॉलेज का बोर्ड तैयार होता है।

फिर ये सात सदस्य मिलकर दो पैरेंट नॉमिनी चुनते हैं और कुल 9 मेंबर हो जाते हैं। फिर ये सभी सदस्य अपने में से किसी एक को प्रेसिडेंट और एक वाइस प्रेसिडेंट चुनते हैं। ये चुनाव पांच साल में एक बार होता है। इस बार का चुनाव इसलिए अहम हो गया है कि ये पंद्रह साल बाद हो रहा है। बीते तीन चुनावों में निर्विरोध जीत हो जाती रही है।

इंदौर में डेली कॉलेज पुराने समय से राजा महाराजाओं का स्कूल माना जाता रहा है। जिसमें धनाड्य वर्ग के लोगों के बच्चे पढ़ते रहे हैं। इसका संचालन और खर्च भी यही वर्ग उठाता रहा है। हालांकि बदलते समय के साथ डेली कॉलज में इनका हस्तक्षेप कम होता गया है। लेकिन इस कॉलेज के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का चुनाव आज भी मध्य प्रदेश और खासकर इंदौर में प्रतिष्ठा का मुद्दा रहा है। क्योंकि बीओडी स्कूल संचालन में बड़ी भूमिका निभाता है।