मध्य प्रदेश में बिजली घोटाला, सौभाग्य योजना के नाम पर 29 करोड़ से ज्यादा का घपला

मंडला, डिंडौरी, सीधी, सिंगरौली में बिजली नहीं पहुंची फिर भी ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान, कांग्रेस सरकार ने दिए थे मामले की जांच के आदेश

Updated: Oct 10, 2020, 12:41 AM IST

Photo Courtesy: Nai Dunia
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भोपाल। मध्य प्रदेश में सौभाग्य योजना के नाम पर करोड़ों के घोटाले का खुलासा हुआ है। शुरुआती जांच में चार जिलों में 29 करोड़ की धांधली सामने आई है, जहां बिजली कनेक्शन दिए बिना ही ठेकेदारों को करोड़ों रुपये के भुगतान किए गए हैं। उपचुनाव के ठीक पहले इस घोटाले की खबर से प्रदेश में हड़कंप मच गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी के राज में हुए इस घोटाले में सत्ताधारी दल के करीबी लोगों ने सरकारी खजाने की लूट की है। कांग्रेस का आरोप है कि 2 लाख तक की योग्यता वाले ठेकेदारों को भी सौभाग्य योजना में करोड़ों रुपये का ठेका दिया गया। इन ठेकेदारों ने केवल कागजों में कनेक्शन दिया, फिर भी उन्हें पूरा भुगतान कर दिया गया। 

कमलनाथ सरकार ने दिए थे योजना की जांच के आदेश

सौभाग्य योजना की जांच तत्कालीन कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई थी। जिससे जुड़ी जानकारी अब सामने आने से बीजेपी आरोपों के घेरे में आ गई है। मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार 4 अगस्त तक इस मामले की जांच में जो खुलासे हुए हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं। अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक मंडला जिले में 9 करोड़ 53 लाख रुपये का भ्रष्टाचार सामने आ चुका है, जबकि डिंडौरी जिले में 8.48 करोड़ रुपये के अतिरिक्त भुगतान का खुलासा हुआ है। सीधी और सिंगरौली जिलों में भी बिजली कनेक्शन के नाम पर केवल खानापूरी करके करोड़ों रुपये की हेराफेरी का मामला सामने आया है। सीधी में 2 करोड़ से ज्यादा का घोटाला उजागर हुआ है, जबकि सिंगरौली में तीन ठेकेदारों को अफसरों ने 4 करोड़ 40 लाख रुपये से ज्यादा रकम का गलत ढंग से भुगतान किया है।

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50 से ज्यादा अफसरों की मिली भगत का खुलासा

इस योजना में गड़बड़ी की शिकायत के बाद बिजली कंपनी ने चार जिलों में जांच कराई थी, जिसमें 50 से ज्यादा अफसरों की मिलीभगत की बात सामने आई है। फिलहाल सिंगरौली जिले को छोड़कर 44 अफसरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है।

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गरीबों के घरों को नहीं मिला बिजली कनेक्शन

देश के बिजली विहीन इलाकों में सौभाग्य योजना के तहत इसके तहत फ्री बिजली कनेक्शन के अलावा हर घर को एक सोलर पैक दिए जाने का प्रावधान है। जिसमें पांच एलईडी बल्ब और एक पंखा भी शामिल है। सौभाग्य योजना का फायदा उन लोगों को मिलना था जो साल 2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना में शामिल थे। जिन लोगों के नाम सामाजिक-आर्थिक जनगणना में नहीं है, उन्हें बिजली कनेक्शन 500 रुपये का भुगतान करने पर दिए जाने थे। यह रकम भी वे दस किस्तों में चुका सकते थे। लेकिन अब सामने आए घोटाले ने इस योजना को संदेह के घेरे में डाल दिया है। 

आपको बता दें कि कोरोना काल के दौरान मध्य प्रदेश में कई घोटालों का खुलासा हुआ है, जिनमें चावल घोटाला, गेंहू घोटाला, नीमच में सत्तू घोटाला और चना घोटाला शामिल हैं। अब उपचुनाव से ठीक पहले बीजेपी सरकार का एक और घोटाला उसकी मुसीबतें बढ़ा सकता है।