Scholarship Scam in Sehore: स्कॉलरशिप घोटाले के आरोपियों को बचाने की कोशिश

Sehore: शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार के आदेश के बाद भी नहीं हुई छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल स्कूल संचालकों पर एफआईआर

Updated: Sep 11, 2020, 03:21 AM IST

Photo Courtesy: India today
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सीहोर। फर्जी छात्रों को एडमीशन देकर लाखों की स्कॉलरशिप हड़पने वाले 18 निजी स्कूल संचालकों को बचाने के लिए कुछ अफसर ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। शिक्षा माफियाओं को बचाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अब छात्रवृत्ती घोटाले में एफआईआर से बचाने के लिए एक नया तरीका अपनाया जा रहा है कि निजी स्कूल संचालकों से शासन के खाते में राशि जमा करवाकर कार्रवाई से बचाया जा सके। 

पहले तो संयुक्त संचालक कार्यालय ने छह स्कूलों की मान्यता निलंबित कर दी, और फिर बाद में इन स्कूलों को नोटिस भेजा। इस नोटिस में धोखाधड़ी से निकाली गई स्कॉलरशिप की राशि वापस शासन के खाते में जमा करवाने को कहा गया। ताकि इन निजी स्कूल संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से बचाया जा सके। गौरतलब है कि खुद संयुक्त संचालक ने इन स्कूल संचालकों से रिकार्ड जब्त करने और उनके खिलाफ एफआईआर के निर्देश दिए थे।

1 लाख 4 हजार 460  रु निकाले, जमा किए 53 हजार 360

शिक्षा विभाग के अफसरों के पास एक निजी स्कूल द्वारा धोखाधड़ी से निकाली गई स्कॉलरशिप की राशि लौटाने की रसीद है। लेकिन वह रसीद स्कॉलरशिप की राशि से बहुत कम की है। पिछले दिनों स्कॉलरशिप की राशि जमा करने के नोटिस के बाद नवोदित विद्या मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ने छात्रवृत्ति की राशि शासन के खाते में जमा करने के लिए चालान जमा करवाया है। इस चालान के जरिए 53 हजार 360 रुपए ही शासन के खाते में जमा किए गए हैं। जबकि स्कूल संचालक ने 1 लाख 4 हजार 460 रुपए की स्कॉलरशिप धोखाधड़ी से निकाली थी।

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स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री ने दिए थे मामले की जांच के आदेश

इस स्कॉलरशिप घोटाले की जांच के निर्देश स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने दिए थे। उन्होंने कहा था कि पूरा काम ऑनलाइन होता है। जिससे यह पूरा मामला प्रमाणित है। इसलिए मामले की जांच बारीकी से की जा रही है। दोषी को किसी भी हालत छोड़ा नहीं जाएगा। जबकि हो इसके विपरीत रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारी दोषी स्कूल संचालकों से छात्रवृत्ती की राशि जमा करवाकर उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे हैं। अब तक कई स्कूल संचालकों ने डीईओ कार्यालय द्वारा दिए गए कोड में छात्रवृत्ती की राशि भी जमा करा दी है। लेकिन स्कूल संचालकों ने यह राशि आधी-अधूरी ही जमा करवाई है।

संकुल प्राचार्यों के खिलाफ नहीं हो रही सख्ती 

इस स्कॉलशिप घोटाले में निजी स्कूल संचालकों के साथ-साथ संकुल प्राचार्य भी दोषी हैं। क्योंकि सभी विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति की स्वीकृति संकुल प्राचार्य के वेरिफिकेशन के बाद ही होती है। सीहोर के दूसरे ब्लॉकों में ऐसी कोई धांधली सामने नहीं आई है। एक मात्र आष्टा ब्लॉक में ही इस तरह के मामले सामने आए हैं। यदि इस मामले में संकुल प्राचार्यों को दोषी माना जाए और उनके पूछताछ की जाए तो बड़ा खुलासा हो सकता है। क्योंकि हर साल इस तरह के मामले सामने आते हैं। पिछले साल भी इन मामले में तात्कालीन डीईओ ने संकुल प्राचार्य को निलंबित किया था।

 दरअसल इस बार नई प्रक्रिया के तहत माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 12वीं के सभी छात्रों के पूरे रिकार्ड ऑनलाइन किए हैं, ताकि फर्स्ट ईयर में दाखिले के वक्त उन्हें वेरिफिकेशन के लिए कॉलेज में जाने की जरूरत न पड़े तभी समग्र आईडी के जरिए इन फर्जी एडमीशन और छात्रवृत्ती घोटाले का खुलासा हुआ।