बीजेपी सांसद केपी यादव ने सिंधिया को कहा मूर्ख, मंच से माफ़ी माँगने को बताया पार्टी का अपमान

सिंधिया खुद को बड़े जननेता कहते हैं, तो उन्हें कांग्रेस में ही रहकर मेरे खिलाफ चुनाव लडना था, एक बार और संघर्ष करते, अब क्यों कह रहे हैं कि 2019 में मुझसे गलती हुई: केपी यादव

Updated: May 24, 2023, 08:33 PM IST

गुना। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी में तीन साल पुराने ज्योतिरादित्य सिंधिया के ग्रह नक्षत्र शायद ठीक नहीं चल रहे हैं। पहले माफी मांगकर मध्य प्रदेश के लोगों को चौंका गए और अब खुद को हरानेवाले सांसद से मूर्खता का शाब्दिक उपहार पाकर उपहास का केंद्र बन गए हैं। 2019 के चुनाव में सिंधिया को हरानेवाले सांसद केपी यादव ने उन्हें मूर्ख कहते हुए यह तक कह डाला है कि कुछलोग अपने आपको बुद्धिजीवी समझते हैं लेकिन मंच से मूर्खता कर बैठते हैं। केंद्रीय मंत्री सिंधिया का उपहास उड़ाते हुए उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें कांग्रेस में रहकर दोबारा मेरे खिलाफ चुनाव लड़ लेना चाहिए। इधर कांग्रेस नेताओं ने भी  उन्हें 'न घर का न घाट का' कहकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। 

 दरअसल सिंधिया ने दो दिन पूर्व शिवपुरी में जनता से अपनी पुरानी गलतियों के लिए हाथ जोड़कर माफी मांगी थी। बकौल केपी यादव उस वक्त मंच पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के कई सीनियर लीडर्स मौजूद थे। सिंधिया की मंच से माफी की गुज़ारिश बीजेपी नेताओं को रास नहीं आयी। मंच पर उस समय मौजूद गुना से भाजपा सांसद ने अब उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। केपी यादव ने कहा कि सिंधिया मूर्ख हैं, और खुद को बड़े बुद्धिजीवी समझते हैं। उन्हें ये भी नहीं पता की मंच से क्या बोलना चाहिए।

एमपी के राजनीतिक गलियारों में सिंधिया को हरानेवाले सांसद केपी यादव का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह चुनौती देते हुए कह रहे हैं कि  'उन्हें ये भी नहीं पता की मंच से क्या बोलना है। अब वे भाजपा में आ गए हैं, बावजूद 2019 लोकसभा चुनाव के लिए माफी मांग रहे हैं। जबकि उन्हें हरानेवाला भी भाजपा का ही सांसद है। इससे ज्यादा मूर्खता क्या हो सकती है। खुद को इतने बड़े जननेता समझते हैं तो उन्हें उसी पार्टी में रहना चाहिए था। कांग्रेस में ही रहकर संघर्ष करते और मेरे खिलाफ एक बार फिर से चुनाव लड़कर देख लेते।'

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लिखा है, कि ये है गद्दारी का नतीजा-

दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया बीते दिनों ग्वालियर-चंबल अंचल के दौरे पर थे। सोमवार को शिवपुरी में जैन समाज के संवाद कार्यक्रम में उन्होंने अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी थी। भाषण के दौरान उन्होंने हाथ जोड़कर कहा था कि, "मेरे आपसे संबंध राजनीतिक नहीं हैं। दिल धड़कता है तो आपके लिए, विकास के लिए सोचता हूं तो आपके लिए। मुझसे जाने-अनजाने में जो भी गलतियां हुई हों उसके लिए मुझे क्षमा करें। मैंने जो भी गलतियां की हैं, उसके लिए माफी मांगता हूं।" सिंधिया का बयान वायरल होने के बाद अब केपी यादव ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

सिंधिया और केपी यादव की अदावत के किस्से एमपी की राजनीति में सुनने को मिलते रहते हैं। खासकर तब से जबसे केपी यादव ने सिंधिया को चुनाव हराकर उनकी सीट पर कब्जा कर लिया। माना जाता है कि सिंधिया की यह हार भी उनके कांग्रेस छोड़ने की एक बड़ी वजह बनी थी। लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बावजूद न सिंधिया उस हार को भुला पाए हैं और न ही केपी यादव गुना संसदीय सीट पर अपनी दावेदारी को कमजोर होने देना चाहते हैं। लिहाजा जैसे जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, दोनों के बीच संघर्ष और तेज होता जा रहा है।

सिँधिया के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद से केपी यादव को अनेक मौकों पर उपेक्षा का शिकार होना पड़ा है। हाल ही में, दो दिन पहले गुना संसदीय क्षेत्र के कोलारस में यादव समाज का संवाद कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रण नहीं मिलने पर भी केपी यादव ने नाराजगी जाहिर की। गुना सांसद ने कहा, "ऐसा पहली बार हुआ है कि मेरे समाज के कार्यक्रम में मुझे ही नहीं बुलाया गया। ये गलत है। किसके कहने पर हुआ? क्यों ऐसा लोगों ने किया? यह किसी का षड्यंत्र रहा होगा। नहीं तो इस तरह से कभी होता नहीं है। सबको मिलजुल कर रहना चाहिए। आपसी मनमुटाव तो सब अपनी जगह है, लेकिन कोशिश होनी चाहिए कि हम सभी समाजों को बांधकर चलें। कभी भी समाज बंटता है, तो उस समाज का नुकसान होता है। अगर समाज में एकता नहीं है, तो उसका भला नहीं हो सकता। मेरा दिल आहत है। ऐसे आयोजन नहीं करना चाहिए। मेरे ख्याल से इससे गलत संदेश जाता है। समाज को भी विचार करना चाहिए। किसी के कहने से नहीं चलना चाहिए। षड्यंत्र में नहीं फंसना चाहिए।"

मध्य प्रदेश की सियासी सर्किल में अनेक मौकों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के चुनाव क्षेत्र को लेकर कयास भी लगते रहते हैं। कुछ लोग उन्हें ग्वालियर सीट से चुनाव लड़ने की मंशा जताते हैं तो कुछ का मानना है कि वे नयी सीट (शायद इंदौर) को भी आज़माना चाहते हैं। कयास तो यह भी हैं कि वे अपने बेटे के लिए भी सुरक्षित सीट का विकल्प देख रहे हैं। लेकिन केपी यादव का खुलकर मोर्चा खोलना चुनाव में उतरी बीजेपी के लिए एक नयी मुसीबत बन सकती है।