गुना में आदिवासियों का बड़ा आंदोलन, दशहरा मैदान में उमड़ा जनसैलाब, रामप्यारी के हत्यारों को फांसी की मांग

गुना में आदिवासी महिला को जिंदा जलाने का मामला, हत्यारों को फांसी की मांग को लेकर शहर में जयस का बड़ा प्रदर्शन, कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह और हीरालाल अलावा भी रहे मौजूद

Updated: Jul 25, 2022, 05:39 AM IST

गुना। मध्य प्रदेश के गुना में बीते दिनों आदिवासी महिला रामप्यारी को बेरहमी से जलाने की घटना ने सभी को झकझोर दिया था। इस घटना को लेकर आदिवासी समुदाय का आक्रोश कम होता नजर नहीं आ रहा है। रामप्यारी के हत्यारों को फांसी की मांग को लेकर रविवार को गुना में आदिवासियों ने बड़ा आंदोलन किया। इस दौरान कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह और हीरालाल अलावा भी मौजूद रहे।

गुना में रुक रुककर हो रही बारिश के बावजूद दशहरा मैदान पर हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग पहुंचे। दशहरा मैदान में जयस ने आमसभा का आयोजन किया है। आमसभा में शामिल होने के लिए आसपास के जिलों के लोग भी पहुंचे हैं। आंदोलन कर रहे आदिवासियों का कहना है कि राज्य सरकार हत्यारों को संरक्षण दे रही है। उन्होंने आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग की है। बताया जा रहा है कि आमसभा के बाद आंदोलनकारी शहर में आक्रोश रैली भी निकालेंगे। 

रामप्यारी की बर्बर हत्या के विरुद्ध आदिवासियों के इस आंदोलन को विपक्षी दल कांग्रेस ने भी समर्थन किया है। कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने शनिवार को प्रदेशवासियों से अपील की थी कि आदिवासी समाज के इस लड़ाई में सभी लोग एकजुटता दिखाएं। सिंह के बेटे व राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह ने प्रदर्शन में शामिल होकर आदिवासी समुदाय को भरोसा दिलाया कि न्याय कि इस लड़ाई में कांग्रेस पार्टी सदा उनके साथ खड़ी है। 

दिग्विजय सिंह ने रविवार को ट्वीट किया कि, 'हमारे गुना शहर में आदिवासी उत्पीड़न के विरोध में बाहर से पधारे युवा आदिवासियों का हार्दिक स्वागत। हम आपके संघर्ष में पहले भी साथ थे आज भी हैं और कल भी रहेंगे। प्रशासन से अनुरोध है कि वे बमोरी में ज़िंदा जलाई गई आदिवासी महिला के परिवार को पूरा मुआवज़ा दिलवाएं, और दोषियों को सख़्त से सख़्त सजा दिलवाएँ।'

बता दें कि बमोरी के धनोरिया गांव निवासी अर्जुन सहारिया की पत्नी रामप्यारी को दबंगों ने जिंदा जला दिया था। कुछ दिनों तक जिंदगी और मौत से संघर्ष करने के बाद महिला ने भोपाल में दम तोड़ दिया था। यह पूरा विवाद साढ़े 6 बीघा जमीन को लेकर हुआ था जो दिग्विजय सिंह की सरकार ने दशकों पहले आदिवासियों को पट्टे के रूप दिए थे। इस घटना के बाद स्वयं दिग्विजय सिंह अस्पताल में पीड़ित परिजनों से मिलने पहुंचे थे और उन्होंने अर्जुन सहारिया को भरोसा दिलाया था कि उनके जमीन पर किसी का कब्जा नहीं होने देंगे।