महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पूजन में पंचामृत स्नान पर रोक

Mahakal Jyotirlinga Erosion Case: रिटारमेंट से पहले आखिरी फैसले में जस्टिस अरुण मिश्रा ने ज्योर्तिलिंग को घिसने, रगड़ने और पंचामृत स्नान कराने पर लगाया प्रतिबंध, नियम तोड़ने पर पुजारी के खिलाफ होगी कार्रवाई

Updated: Sep 02, 2020, 10:02 AM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिल अरुण मिश्रा बुधवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सेवानिवृत्त होने के पहले अपनी आखिरी सुनवाई  में उन्होंने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग क्षरण मामले में निर्णय सुना दिया। कोर्ट ने पंचामृत पूजन पर रोक के साथ-साथ श्रद्धालुओं द्वारा शिवलिंग को घिसने और रगड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को आदेश दिया है कि मंदिर समिति क्षरण रोकने के उपायों को तत्काल लागू करें। 

2013 में उज्जैन की सारिका गुरु नामक महिला ने महाकाल मंदिर में हो रहे शिवलिंग क्षरण को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। 2017 से यह केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित कर मंदिर का निरीक्षण करवाया था। कमेटी ने ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए मंदिर समिति को सुझाव दिए थे। 

ज्योतिर्लिंग को क्षरण से बचाने के किए कोर्ट ने महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को निर्देश दिए हैं कि वह क्षरण रोकने एक्सपर्ट कमेटी के सुझावों को अमल में लाए और हर संभव उपाय करें। कोर्ट ने कहा है कि आरओ के जल से शिवलिंग का अभिषेक हो। शिवलिंग को नुकसान पहुंचाने वाली कोई सामग्री न चढ़ने दी जाए। दूध सीमित मात्रा में चढ़े व शुद्ध हो। शहद, घी और दही चढ़ना भी बंद होना चाहिए। कोई पंडा या पुजारी नियमों को तोड़ता है तो मंदिर कमेटी उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगी। कोर्ट ने कहा है कि विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में कलेक्टर एक विस्तृत योजना बनाए और उसे लागू करने के लिए सरकार पर्याप्त राशि उपलब्ध करवाए। योजना बनाने के लिए कोर्ट ने चार सप्ताह का समय दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आवश्यक संधारण कार्य तुरंत शुरू किए जाएं।