प्रियंका चतुर्वेदी सहित 12 सांसद राज्यसभा से निलंबित, शीतकालीन सत्र की कार्यवाही में नहीं ले पाएंगे भाग
निलंबित किए गए सांसदों में सबसे अधिक 6 सांसद कांग्रेस के हैं, शिवसेना और टीएमसी के दो दो सांसदों को निलंबित किया गया है, वहीं सीपीएम और सीपीआई के एक एक सांसद को निलंबित किया गया है

नई दिल्ली। अनुशासनहीनता का हवाला देकर राज्यसभा से कुल बारह सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। निलंबित किए गए सांसदों में सबसे अधिक सांसद कांग्रेस पार्टी के हैं। निलंबित किए गए सभी सांसद संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही में भाग नहीं ले पाएंगे।
शीतकालीन सत्र में निलंबित किए गए सांसदों में कांग्रेस पार्टी के 6 सांसद शामिल हैं। वहीं शिवसेना और टीएमसी के दो दो सांसदों को निलंबित किया गया है। जबकि सीपीआई और सीपीएम से एक एक सांसद राज्यसभा से निलंबित किए गए हैं।
मामले पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि, '12 सांसदों का अचानक निलंबित किया जाना हैरान करता है। उनके रवैए को हिंसक माना गया। लेकिन इस सरकार को कौन सज़ा देगा जिसने जनता पर असंवैधानिक तरीके से तीन कृषि कानूनों को थोपा। उन 600 मौतों और किसानों पर आई विपदा के लिए कोई सज़ा नहीं। संसद में इन सवालों का जवाब कौन देगा?'
Sudden suspension of 12 oppo MPs came as a bolt from the blue. Supposedly for violent behaviour. Who punishes the Govt which forced the #3farmbills in a most #unconstitutional manner !! No punishment for 600 deaths & so much misery to #farmers. Who in parliament will answer this
— Vivek Tankha (@VTankha) November 29, 2021
कांग्रेस पार्टी से निलंबित किए सांसदों में रिपुन बोरा, छाया वर्मा, फूलो देवी नेताम, राजामणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह शामिल हैं। वहीं शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई, टीएमसी की डोला सेन और शांता छेत्री को निलंबित किया गया है। जबकि सीपीआई के बिनय विश्वम वहीं सीपीएम के एलामरम करीम को ऊपरी सदन से निलंबित किया गया है।
दरअसल यह निलंबन मॉनसून सत्र के दौरान हुए हंगामे के सिलसिले में किया गया है। 11 अगस्त को संसद में इंश्योरेंस बिल पेश किए जाने के दौरान जमकर हंगामा हुआ था। सरकार की तरफ से विपक्षी पार्टियों द्वारा सदन की कार्यवाही को बाधित करने का आरोप लगाया गया था। जबकि विपक्षी सांसदों का आरोप था कि सदन में महिला सांसदों के साथ बदसलूकी की गई। इतना ही नहीं विपक्षी सांसदों ने यह भी आरोप लगाया था कि उन्हें सदन से बाहर करने के लिए ऐसे लोगों को सदन में एंट्री दी गई थी जो कि संसद के सुरक्षा अमले के लोग नहीं थे।