पंचायत चुनाव कराने में हुई 135 शिक्षकों की मौत, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

चुनावी ड्यूटी में तैनात शिक्षकों की मौत पर HC ने कहा- चुनाव आयोग के खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए?

Updated: Apr 28, 2021, 03:46 AM IST

Photo courtesy: pti
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लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट  ने प्रदेश पंचायत चुनाव के दौरान ड्यूटी पर लगे 135 शिक्षकों की मौत की खबर पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग और पुलिस, पंचायत चुनाव ड्यूटी पर लगे सरकारी कर्मचारियों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए कोरोना  गाइडलाइन्स का पालन कराने में नाकाम रहे हैं। संक्रमण से बचने के लिए कुछ नही किया। चुनाव आयोग अदालत में हाजिर होकर इसका जवाब दे और अगर अगले मतदान में ऐसा फिर हुआ तो जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई होगी।

अदालत ने कड़े लहज़े में कहा कि सरकार को "या तो मेरी चलेगी वरना किसी की नहीं" वाला रवैया छोड़ना होगा और दूसरों की राय को भी अहमियत देनी होगी। अदालत ने कहा कि ऑक्सीजन,दवा और बेड सबकी किल्लत है। नकली इंजेक्शन बिकने की खबरें अखबारों में छप रही हैं और कई व्यापारी आपदा में नोट कमा रहे हैं।


हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा "2020 में जब कोरोना के मामलों में कमी आने पर सरकार इससे बेपरवाह हो गई और पंचायत चुनाव जैसे दूसरे कामों में लग गई। अगर वक्त रहते इंतजाम किया गया होता तो इससे बचने को तैयार होती। अगर आपने अपनी लापरवाही से लोगों को मरने दिया तो आपकी अगली पीढ़ी आपको माफ नहीं करेगी।"

अदालत ने उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा कि वो अगली तारीख को बताएं कि पंचायत चुनाव के दौरान कोविड 19 प्रोटोकॉल कराने में विफल क्यों रहा? क्यों न जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ़ मुकदमा चलाया जाए?

कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रमुख सरकारी अस्पतालों में दिन में दो बार स्वास्थ्य संबंधी बुलेटिन जारी करने की प्रणाली लागू की जानी चाहिए, ताकि लोग मरीजों के स्वास्थ्य की स्थिति जान सकें और तीमारदार अस्पताल जाने से बच सकें। उसने कहा कि ये अस्पताल मरीजों के संबंधी जानकारी देने के लिए बड़ी स्क्रीन का उपयोग कर सकते हैं।


कोर्ट ने निर्देश दिया कि सरकार शहरों के अपने जिला पोर्टल पर सभी अस्पतालों में कोविड-19 वार्ड और आईसीयू में भरे हुए और खाली बिस्तरों की स्थिति बताए। कोर्ट ने कहा कि केवल एंटिजन जांच रिपोर्ट में व्यक्ति के संक्रमणमुक्त होने की पुष्टि ही किसी मरीज को अस्पताल से छुट्टी देने का आधार नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इस तरह के मरीज दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। उसने कहा कि उन्हें कम से कम एक सप्ताह के लिए गैर कोविड-19 वार्ड में भर्ती रखा जाना चाहिए।

कोर्ट ने निर्देश दिया कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि प्रत्येक जिले में सभी सरकारी कोविड-19 अस्पतालों और संक्रमण के इलाज के लिए निर्धारित निजी अस्पतालों और कोविड-19 केंद्रों में प्रत्येक व्यक्ति की मौत की सूचना एक न्यायिक अधिकारी को दी जाए, जिसकी नियुक्ति जिला न्यायाधीश द्वारा की जाएगी।

अदालत ने लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर नगर, आगरा, गोरखपुर, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और झांसी के जिला न्यायाधीशों से एक-एक न्यायिक अधिकारी नामित करने का अनुरोध किया, जो अपने-अपने जिलों में नोडल अधिकारी के तौर पर काम करेंगे और हर सप्ताह के अंत में महानिबंधक को रिपोर्ट करेंगे और इस रिपोर्ट को सुनवाई की अगली तारीख तीन मई, 2021 को अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा।