कोरोना की वजह से गुस्सा, परेशान, निराश या चिंतित हैं 61 फीसदी भारतीय, सर्वे में हुआ खुलासा

भारत में बेकाबू हो चुके कोरोना संक्रमण के फैलाव को लेकर दहशत में जी रहे हैं लोग, अनिद्रा, डिप्रेशन जैसी बीमारियों से हुए ग्रसित, मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा

Publish: May 05, 2021, 12:56 PM IST

Photo Courtesy: The Economic times
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नई दिल्ली। भारत कोरोना की दूसरी लहर के कहर से बुरी तरह जूझ रहा है। संकट के इस दौर में सरकारी कुप्रबंधन ने लोगों को गुस्सैल बना दिया। एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने भारत के 61 फीसदी आबादी को मानसिक रोगी बना दिया है। सर्वे के मुताबिक भारत के करोड़ों लोगों को चिंता और निराशा की वजह से नींद तक नहीं आ रही है। चारो ओर फैली चीख-पुकार और मौत के तांडव से आम लोगों के दिमाग में जो विकार उत्पन्न हुए हैं उसने मनोवैज्ञानिकों को चिंतित कर दिया है।

सिटीजन इंगेजमेंट प्लेटफार्म लोकल सर्किल्स द्वारा किए गए इस सर्वे में खुलासा हुआ है की भारत के करीब 61 प्रतिशत लोग मानसिक तनाव की समस्या से जूझ रहे हैं। लोगों को गुस्सा आना, नींद न आना, चिंतित रहना जैसी गंभीर बीमारियों ने अपने चपेट में ले लिया है। देश में कोरोना के बेतहाशा बढ़ते मामले और प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोगों की हो रही मौत ने भारतीयों को डिप्रेशन का शिकार बना दिया है।

सर्वे के मुताबिक ऑक्सीजन, हॉस्पिटल्स में बेड और जीवनरक्षक दवाइयों की कमी ने लोगों पर गंभीर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाला है। सर्वे में 23 फीसदी लोगों ने बताया कि पिछले दो महीनों में उत्पन्न हुई परिस्थितियों की वजह से वे चिंतित हैं। करीब आठ फीसदी लोगों ने बताया कि वे उदास हैं। लगभग 20 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वे परेशान और गुस्से में हैं, जबकि 10 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वे बहुत ज्यादा गुस्से में हैं।

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सर्वे में महज 7 प्रतिशत लोगों की मनोदशा को शांत पाया किया गया। करीब 28 प्रतिशत लोगों ने खुद को आशावादी बताया। पोल के ओवरऑल नतीजों में यह बात सामने आई कि कुल 61 प्रतिशत भारतीय कोविड-19 की वजह से गुस्सा, परेशान, निराश या चिंतित हैं। सर्वे में जब पूछा गया कि क्या भारत कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सही रास्ते पर है? तो करीब 45 फीसदी लोगों ने कहा कि नहीं। इनमें 41 फीसदी को लगा कि देश सही रास्ते पर है, जबकि 14 फीसदी लोग कोई उत्तर नहीं दे पाए। लोकल सर्वे ने इस सर्वे में करीब 8 हजार 141 लोगों को शामिल किया था। सर्वे के इस रिपोर्ट ने देश के मनोवैज्ञानिकों को भी चिंतित कर दिया है।