किसानों ने कहा, अन्न भंडार पर अडानी के क़ब्ज़े की आशंका, 5 साल में बनीं अडानी एग्री की 21 कंपनियां

2014 में प्रधानमंत्री के शपथग्रहण वाले हफ़्ते में बनीं 5 कंपनियां, अड़ानी ने कहा, वो खाद्यान्न का मूल्य नहीं तय करती

Updated: Dec 14, 2020, 04:02 PM IST

Photo Courtesy: hastakshep.com
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नई दिल्ली। अंग्रेज़ी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अडानी एग्री की अबतक 21 नई कंपनियां बनी हैं। हैरानी की बात यह है कि साल 2014 के मई महीने के जिस हफ्ते मोदी जी ने शपथ लिया था, अडानी की पांच कंपनियां ठीक उसी हफ्ते रजिस्टर्ड हुई थीं।

मिनिस्ट्री ऑफ कॉरर्पोरेट अफेयर्स की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक मई 2014 के आखिरी हफ्ते में 5 कंपनियों के नाम पर मुहर लगाई गई है। ये वही सप्ताह था, जब पहली बार नरेंद्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। अखबार के मुताबिक कांग्रेस के कार्यकाल में अडानी एग्री लॉजिस्टिक की मात्र दो कंपनियों के रजिस्ट्रेशन को मंजूरी मिली थी। अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स लिमिटेड की कंपनियां भटिंडा, बरनाला, देवास, होशंगाबाद, कन्नौज, मनसा, मोगा, कटिहार, दरभंगा, समस्तीपुर, सतना, उज्जैन जैसे शहरों के लिए रजिस्टर्ड की गई है।

दरअसल, अडानी एग्री लॉजिस्टिक (Adani Agri Logistics) के कृषि क्षेत्र में बढ़ते कदम ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉरर्पोरेट अफेयर्स के आंकड़ों को देखें तो बीते पांच साल में 21 कंपनियां अस्‍त‍ित्‍व में आईं हैं और मंत्रालय ने इनके नामों को मंजूरी भी दी है। ये सभी कंपनियां अडानी एग्री लॉजिस्टिक नेटवर्क की हैं। साल 2014 से 2018 के बीच अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड की ये सभी कंपनियां गुजरात में रजिस्टर हुई हैं।

अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स, खाद्यान्न के थोक हैंडलिंग, भंडारण और वितरण में अग्रणी कंपनी है। भारतीय खाद्य निगम के लिए कंपनी ने 2007 में भारत का पहला आधुनिक अनाज भंडारण इंफ्रास्ट्रक्चर शुरू किया था। इसने अनाज का भंडारण करने के लिए मोगा (पंजाब) और कैथल (हरियाणा) में मान्यता प्राप्त अनाज साइलो बनाया गया। इसके अलावा कंपनी ने मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, कोलकाता और कोयम्बटूर में भी साइलोज की स्थापना की है।

कुछ किसान संगठन के नेताओं ने यह दावा किया है कि अडाणी समूह ऐसे भंडारण कक्ष तैयार कर रहा है जहां बड़ी मात्रा में अनाज स्‍टोर करके रखा जा सकता है। किसानों का आरोप है कि यह भंडारण कक्ष अडानी ने इसलिए बनवाई है ताकि जमाखोरी के बाद उन्‍हें ऊंची कीमत पर बेचा जा सके। हालांकि, अडानी समूह ने इन आरोपों पर सफाई देते हुए इन्हें खारिज किया है। अडानी समूह ने कहा है कि वह न तो किसानों से खाद्यान्न खरीदती है और न ही खाद्यान्न का मूल्य तय करती है।

लेकिन केंद्र सरकार द्वारा लागू विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान अब अडानी, अंबानी समूह के खिलाफ खुलकर आ गए हैं। किसानों का आरोप है कि केंद्र की मोदी सरकार अपने कॉरपोरेट मित्रों के फायदे के लिए बनी है। इसलिए अंबानी के जिओ मोबाइल का बहिष्कार करने के दावे के बाद अब किसानों के निशाने पर अडानी समूह आ गया है। किसानों का आरोप है कि अडानी जैसे मित्रों को फायदा दिलाने के लिए मोदी सरकार कृषि कानून लायी है।