फैक्ट्री मालिकों के साथ खड़ी है सरकार, श्रमिक विरोधी है यह रवैया, दिग्विजय सिंह ने CM को लिखा पत्र
श्रमिकों की मजदूरी कम किए जाने के विरुद्ध दिग्विजय सिंह ने CM मोहन यादव को लिखा पत्र, कहा- सरकार को न्यायालय में मजदूरों के हक की लड़ाई लड़नी चाहिये।

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने श्रमिकों की मजदूरी कम किए जाने को लेकर सीएम मोहन यादव को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि सरकार को न्यायालय में मजदूरों के हक की लड़ाई लड़नी चाहिये। जबकि राज्य शासन फैक्ट्री मालिकों के साथ खड़ी है। यह रवैया श्रमिक विरोधी है।
सीएम यादव को संबोधित पत्र में सिंह ने लिखा, 'दिनों दिन बढ़ती मंहगाई के दौर में प्रदेश के लाखों श्रमिकों की मूजदूरी में कमी किये जाने से प्रदेश के श्रमिक वर्ग में राज्य सरकार के प्रति भारी आक्रोश है। सरकार को न्यायालय में मजदूरों के हक की लड़ाई लड़नी चाहिये। इसके स्थान पर राज्य शासन फेक्ट्री मालिकों के साथ खड़ी दिखाई दे रही है। जिम्मेदार अफसरों का यह रूख मजदूरों के शोषण की खुली छूट दे रहा है।'
पूर्व सीएम ने आगे लिखा, 'न्यूनतम मजदूरी की दरों का निर्धारण राज्य शासन ने 2014 में किया था। न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के प्रावधानों के अनुसार 2019 में कामगारों की दरें बढ़ाई जानी चाहिये थी। लेकिन कंपनी मालिकों के दबाव में राज्य शासन के अफसर मजदूरी की दरों में वृद्धि करने की जगह खामोशी बरततें रहे। दूसरी तरफ श्रमिक संगठन लगातार मजदूरी बढ़ाने की मांग करते रहे।'
राज्यसभा सांसद सिंह ने लिखा कि, 'न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तमाम नियमों को दस साल तक दर किनार करने के बाद सरकार ने 1 अप्रैल 2024 से अकुशल, अर्द्धकुशल, कुशल और उच्च कुशल श्रेणी के श्रमिकों की दरों में क्रमशः वृद्धि कर दी। मई के महिने में प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों सहित शासकीय दफ्तरों एवं अन्य निर्माण कार्यों में शामिल लाखों श्रमिकों को बढ़ी हुई मजदूरी मिल गई। दस साल बाद मिला न्याय एक माह भी खुशियां नही दे सका और श्रम विभाग की अधिसूचना के विरोध में औद्योगिक संगठनों ने कोर्ट में याचिका दायर कर स्टे ले लिया।'
सिंह ने लिखा कि, 'पूरे प्रदेश के श्रमिकों, कामगारों की मजदूरी मई 2024 से पुनः कम होकर पुरानी दरों पर आ गई। इस पूरे प्रकरण में राज्य शासन का रवैया श्रमिक विरोधी प्रतीत होता है। उसकी तरफ से न हाईकोर्ट से स्टे हटवाने के गंभीरता से प्रयास किये गये न ही सुप्रीम कोर्ट में स्टे के खिलाफ याचिका लगाई गई। यही नही श्रम आयुक्त ने 2014 की दरों से भुगतान करने का आदेश जारी कर श्रमिकों के हितों पर कुठाराघात किया है।'
पूर्व सीएम ने मांग करते हुए कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार राज्य की अवधारणा एक ‘‘लोक कल्याणकारी राज्य’’ की है जिसे जन-जन के व्यापक हित में निर्णय लेना चाहिये। न्यूनतम मजदूरी कम करने राज्य सरकार ने मजदूर विरोधी कदम उठाया है। आपसे आग्रह है कि इस मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए कोर्ट से स्टे हटवाया जाये और मजदूरी की बढ़ी हुई दरों से भुगतान करने के निर्देश दिये जाएं। शासन द्वारा न्याय नही किये जाने पर कांग्रेस पार्टी श्रमिक संगठनों के आंदोलन का समर्थन करेगी।