सभी पक्षों को सुनने के बाद ही कोई फैसला पारित करे अदालत, कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में इलाहाबाद HC का आदेश

ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट और सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें मथुरा की ज़िला अदालत को इस मामले की सुनवाई से रोकने को लेकर याचिका दायर की थी

Publish: May 01, 2023, 05:20 PM IST

इलाहाबाद। मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ख़ुद सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। इलाहाबाद ने याचिका को खारिज करते हुए मामले की सुनवाई मथुरा की ज़िला अदालत में ही सुनिश्चित किए जाने का फैसला सुनाया है। हालांकि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में मथुरा की ज़िला अदालत को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अदालत सभी पक्षों को सुनने के बाद ही कोई फैसला देगी। 

ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ज़मीन विवाद से जुड़े इस मामले की सुनवाई को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिलाकर्ताओं की यह दलील थी कि चूंकि ज़मीन की कीमत दस लाख से ज़्यादा है इसलिए इस मामले की सुनवाई करना मथुरा की ज़िला अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। 

हिंदू पक्ष ने 2020 में मथुरा की स्थानीय अदालत में एक सिविल वाद दायर किया था जिसमें कृष्ण जन्मभूमि से सटी हुई 13.37 एकड़ की ज़मीन को हिंदू पक्ष को सौंपने की मांग की गई थी। हालांकि अदालत ने हिंदू पक्ष की इस याचिका को खारिज कर दिया। 

याचिका खारिज होने के बाद हिंदू पक्ष ने मथुरा की ज़िला अदालत का रुख किया और ज़िला अदालत ने सिविल कोर्ट के याचिका खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया और इस मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गई। इसी के विरोध में ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया था। 

अपनी याचिका में उन्होंने 1991 के प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट का हवाला दिया, जिसके मुताबिक धार्मिक स्थलों पर स्थिति यथावत बनाई रखनी है और किसी तरह का बदलाव नहीं करना है। यह कानून बाबरी विध्वंस के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार लेकर आई थी ताकि देश में सांप्रदायिकता पर रोक लगाई जा सके।