टूट गया मार्क्सवादी आंदोलन का एक और सितारा, सीताराम येचुरी का निधन, बॉडी AIIMS को की जाएगी डोनेट
72 वर्षीय कॉमरेड नेता पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। वरिष्ठ नेता का निधन दोपहर 3.05 बजे हुआ। उनको एक्यूट रेस्पिरेटी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के चलते 19 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
सीपीएम के महासचिव और लेफ्ट फ्रंट के जाने-माने नेता सीताराम येचुरी नहीं रहे। वो लंबे समय से एम्स में एडमिट थे। उन्हें सांसों का इन्फेक्शन था। आखिरी दौर में वेंटिलेटर पर भी रहे। लेकिन अंततः उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनका जाना वाम राजनीति में एक बड़ा शून्य पैदा करने वाला है। भारतीय राजनीति के लिए भी एक बड़ी क्षति है।
72 साल के सीताराम येचुरी अंततः एम्स में सांसों की लड़ाई हार गए। उनके ठीक पहले बुद्धदेब भट्टाचार्य जा चुके थे। यानी अपने सबसे गहरे संकट के दिनों में भारत का मार्क्सवादी आंदोलन अपने दो सबसे महत्वपूर्ण लोगों को खो चुका है।
निधन के बाद परिवार ने येचुरी की बॉडी को AIIMS को डोनेट करने का फैसला किया है। परिवार ने उनकी बॉडी को शिक्षण और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए एम्स दिल्ली को डोनेट कर दिया है।
सीताराम येचुरी का पार्थिव शरीर आज गुरुवार को उनके घर (वसंत कुंज स्थित आवास) ले जाया जाएगा। इसके बाद कल शुक्रवार शाम 6 बजे पार्टी कार्यालय में अंतिम दर्शन की योजना बनाई जा रही है। एम्स प्रशासन के बयान के मुताबिक इसके बाद पार्थिव शरीर को वापस एम्स को सौंप दिया जाएगा।
सीताराम येचुरी ने भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन का उभार भी देखा, उसकी ढलान भी देखी। सत्तर के दशक में सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज और जेएनयू में पढ़ाई करते हुए वो एसएफआई से जुड़े थे और इमरजेंसी के दौरान जेल भी गए। अस्सी के दशक में सीपीएम की केंद्रीय राजनीति का हिस्सा बने और फिर लगातार कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गए।