असम: वोटिंग के बाद बीजेपी उम्मीदवार की कार में मिली EVM, चुनाव आयोग पर उठ रहे गंभीर सवाल

असम विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के वोटिंग वाले दिन यानी कल 1 अप्रैल को मतदान के बाद ईवीएम मशीन बीजेपी नेता के कार में मिली, मामला बढ़ने के बाद चुनाव आयोग का अजीबोगरीब तर्क

Updated: Apr 02, 2021, 06:43 AM IST

Photo Courtesy: NDTV
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गुवाहाटी। असम विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के बाद एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है, जिससे चुनाव आयोग सवालों के घेरे में है। दरअसल, असम के पाथरकंडी विधानसभा क्षेत्र में सफेद रंग की बोलेरो कार में EVM मिली हैं। कार का नंबर AS10 B 0022 है। हैरान करने वाली बात यह है कि कार पथरकंडी सीट के वर्तमान विधायक और बीजेपी उम्मीदवार कृष्णेंदु पॉल की है। कांग्रेस ने इस बेहद गंभीर मामला बताते हुए चुनाव आयोग को निशाने पर लिया है।

बीजेपी नेता के कार में ईवीएम मिलने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि सफेद रंग की गाड़ी में ईवीएम मशीन रखी हुई है और लोग यह कहते सुने जा रहे हैं कि गाड़ी कृष्णेंदु पॉल की है। पाथरकांडी से बीजेपी उम्मीदवार कृष्णेंदु पॉल की निजी गाड़ी में ईवीएम मिलने के वीडियो को पत्रकार अतानु भूयान ने गुरूवार रात को ट्वीट किया था। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इसे साझा करते हुए पूछा है कि हर बार बीजेपी नेताओं के गाड़ियों में ही ईवीएम क्यों बरामद होते हैं।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, 'हर बार ऐसे वीडियो सामने आते हैं जिनमें निजी गाड़ियों में ईवीएम ले जाते हुए लोग पकड़े जाते हैं। अप्रत्याशित रूप से उनमें कुछ चीजें कॉमन होती है- पहली बात यह कि ऐसी गाड़ियां बीजेपी उम्मीदवार या उनके सहयोगियों की होती हैं। दूसरी यह कि इस तरह की घटनाओं को झूठ बताकर खारिज कर दिया जाता है और तीसरी यह कि बीजेपी अपनी मीडिया मशीनरी का इस्तेमाल करके ऐसी घटनाओं को सामने लाने वालों को ही आरोपी बता देती है।' 

कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि, 'बीजेपी अपनी मीडिया मशीनरी का इस्तेमाल करके उन्हें ही आरोपी ठहरा देती है जिन्होंने वीडियो एक्सपोज किए। सच्चाई यह है कि ऐसे कई सारी घटनाएं रिपोर्ट की जा रही हैं लेकिन इन पर कुछ नहीं किया जा रहा है। चुनाव आयोग को इन शिकायतों पर निर्णायक रूप से कार्रवाई शुरू करने की आवश्यकता है और सभी राष्ट्रीय दलों को ईवीएम के इस्तेमाल की जरूरतों पर एक गंभीर पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए।' 

मामले पर कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर ने कहा है कि जब ईवीएम ही संदिग्ध हो जाए तो बचा क्या। थरूर ने ट्वीट किया, 'यह काफी चौंकाने वाला है। भारत की लोकतांत्रिक संस्कृति में आलोचकों का भी मानना है कि कम से कम चुनाव मुक्त और निष्पक्ष हों लेकिन हम चुनावी निरंकुश बन चुके हैं। अगर ईवीएम ही संदिग्ध हो जाए तो बचा क्या? चुनाव आयोग को इस पर तुरंत सार्वजनिक जांच करानी चाहिए।' 

वहीं असम से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने ट्वीट किया, 'सिर्फ इसी रास्ते से बीजेपी असम जीत सकती है- ईवीएम लूटकर। ईवीएम कैप्चरिंग, जैसे बूथ कैप्चरिंग हुआ करती थी। यह सब चुनाव आयोग की नाक के नीचे हो रहा है। लोकतंत्र के लिए दुखद दिन।'

असम कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा है कि ईवीएम की खुली लूट और धांधली पर यदि रोक नहीं लगी तो कांग्रेस चुनाव का बहिष्कार करने पर विचार करेगी। इस वीडियो को साझा करते हुए AIUDF के अध्यक्ष और सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने लिखा कि, 'ध्रुवीकरण फेल, वोटों की खरीद फेल, प्रत्याशियों की खरीद फेल, जुमलेबाजी फेल, दोहरे सीएम फेल, सीएए पर दोहरी बातें फेल। हार चुकी बीजेपी के पास अब एक ही रास्ता बचा है, ईवीएम की चोरी। यह लोकतंत्र की हत्या है।' 

दिए जा रहे अजीबोगरीब दलील

इस पूरे घटनाक्रम में हद्द तो तब हो गई जब बीजेपी नेता की गाड़ी में ईवीएम ले जाने का विरोध करने और वीडियो बनाने वाले स्थानीय लोगों पर ही पुलिस ने एफआईआर कर दी। वहीं इस घटना को लेकर अजीबोगरीब दलील भी दिए जा रहे हैं। मीडिया में चुनाव आयोग सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि ईवीएम ले जाते वक्त चुनाव आयोग की गाड़ी खराब हो गई थी। इसके बाद मदद के लिए अधिकारियों ने एक गाड़ी की व्यवस्था की ताकि ईवीएम को सही-सलामत पहुंचाया जा सके।

दावा यह भी किया जा रहा है कि अधिकारियों को इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि गाड़ी बीजेपी उम्मीदवार की है। वहीं, स्थानीय लोगों पर एफआईआर इसलिए कि गई है क्योंकि उन्होंने चुनाव आयोग की गाड़ी को रोककर अधिकारियों पर हमला किया। मामले पर असम कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा है कि चुनाव आयोग हर बार इसी स्क्रिप्ट को दोहराती है। 

कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया, 'हर चुनाव में यही स्क्रिप्ट दोहराई जाती है- इलेक्शन कमीशन की कार खराब हो गई, ईवीएम मशीन को बीजेपी से जुड़ी कार में ट्रांसफर कर दिया गया, बाद में जब जनता नाराजगी जाहिर करती है तब अधिकारियों को इसका पता लगता है। इससे पहले कि जनता का भरोसा पूरी तरह खत्म हो जाए, चुनाव आयोग को खुद को सुरक्षित करना चाहिए।'