Bheema Koregaon Case: 83 साल के बुजुर्ग आदिवासी एक्टिविस्ट स्टेन स्वामी को NIA ने किया गिरफ्तार

Activist Sten Swami: स्टेन स्वामी का NIA पर गंभीर आरोप, जांच एजेंसी ने मेरे कम्प्यूटर में फर्जी सबूत प्लांट किए

Updated: Oct 10, 2020, 03:05 AM IST

Photo Courtesy: laksha maharastra
Photo Courtesy: laksha maharastra

रांची। भीमा कोरेगाँव मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने 83 साल के बुजुर्ग आदिवासी एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर लिया हैं। एजेंसी ने उन्हें झारखंड के बगइचा स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया है।
एल्गार परिषद केस में यह 16 वीं गिरफ्तारी है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक स्टेन स्वामी ने NIA  पर अपने कम्प्यूटर में फर्जी सबूत प्लांट करने का गंभीर आरोप भी लगाया है। जब एनआईए की टीम स्वामी के घर पहुंची, उनके सहयोगी वहां मौजूद थे। इनमें से स्वामी के एक सहयोगी ने वेब पोर्टल द वायर को बताया है कि एनआईए के लोग बिना वारंट दिखाए और गिरफ्तारी का आधार बताए बगैर उन्हें अपने साथ ले गए हैं।’ 

कई बीमारियों से जूझ रहे बुजुर्ग स्टेन स्वामी झारखंड के दिग्गज आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता हैं। मूल रूप से केरल के रहने वाले स्वामी बीते लगभग पांच दशकों से झारखंड के आदिवासियों और विचाराधीन कैदियों के लिए काम कर रहे हैं। झारखंड में बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान स्वामी और उनके सहयोगियों पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था, लेकिन हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार के सत्ता में आने के बाद उन पर लगे आरोपों को हटा दिया गया था। 

एल्गार परिषद केस में NIA ने फादर स्टेन स्वामी से जुलाई और अगस्त के महीने में पूछतांछ की थी। इस हफ्ते भी पूछतांछ के लिए NIA ने स्टेन स्वामी को अपने मुंबई ऑफिस बुलाया था। लेकिन एक बयान में उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ करने की मांग रखी थी। उनका कहना था कि अपनी उम्र और कोरोना महामारी के चलते वह यात्रा नहीं कर सकते हैं। 

स्टेन स्वामी ने अपने पहले के बयान में यह भी कहा था कि जो भी उनके साथ हो रहा है उसमें कुछ अजीब नहीं है। उन्हें सरकार के ऊपर सवाल उठाने की सजा मिल रही हैं। वर्तमान सरकार लेखकों, बुद्धिजीवियों, छात्रों, पत्रकारों,सामाजिक कार्यकर्ताओ,दलितों और आदिवासियों के लिए काम करने वाले लोगों को निशाना बना रही है।

NIA अधिकारियों ने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि स्टेन स्वामी माओवादियों के षड्यंत्र में शामिल रहे हैं। वे सीपीएम माओवादी संगठन के सक्रिय सदस्य हैं और उसके कामकाज को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने धन भी प्राप्त किया हैं। झारखंड और देश भर के अनेक जन संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अन्य नागरिकों ने एक साझा बयान जारी करके NIA द्वारा स्टैन स्वामी की गिरफ़्तारी की कड़ी निंदा की है। बयान में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी इस गिरफ़्तारी का विरोध करने का आग्रह किया गया है।

आपको बता दें कि एल्गार परिषद मामले की जांच पहले पुणे पुलिस कर रही थी। लेकिन महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की बीजेपी सरकार के गिरने के बाद जब शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पर्टी और कांग्रेस का गठबंधन सत्ता में आया तो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह जांच केंद्र सरकार की एजेंसी एनआईए को सौंप दी गई।