बिहार में कोरोना के आंकड़ों में धांधली का आरोप, जांच कराने वाले कई लोगों के फोन नंबर में हैं दस 'ज़ीरो'

शेखपुरा, जमुई और पटना के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कोविड टेस्ट कराने वाले कई ऐसे मरीजों के नाम सामने आ रहे हैं, जिनके नाम के आगे फोन नंबर वाले कॉलम में दस ज़ीरो वाला फोन नंबर अंकित किया गया है

Updated: Feb 12, 2021, 05:35 AM IST

Photo Courtesy: NDTV
Photo Courtesy: NDTV

पटना। कोरोना जांच के नाम पर बिहार में बहुत बड़े फर्जीवाड़े की बू आ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिहार के पटना, जमुई और शेखपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कोरोना टेस्टिंग के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कोविड का कथित तौर पर टेस्ट कराने वाले लोगों के फोन नंबर में दस ज़ीरो हैं। 

अंग्रेज़ी के एक प्रमुख अख़बार ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि 16 जनवरी को जमुई स्थित बरहट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 48 लोगों ने कोरोना टेस्ट कराया था। जिसमें से 28 लोग ऐसे थे जिनके फोन नंबर के कॉलम के आगे दस ज़ीरो के अंकों वाला फोन नंबर अंकित था। जबकि 26 जनवरी को 83 लोगों की हुई, जांच में 46 लोगों का दस जीरो की संख्या वाला फोन नंबर दर्ज था। यही स्थिति 16 जनवरी को जमुई के सदर प्रथमिक स्वास्थ्य केंद्र की भी थी। 150 टेस्ट में से 73 लोगों के फोन नंबर के तौर पर जीरो संख्या वाले नंबर दर्ज हैं। टेस्टिंग के रिकॉर्ड्स की कुछ ऐसी ही स्थिति राजधानी पटना और शेखपुरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की है। 

हालांकि अंग्रेज़ी के एक अख़बार ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि जब उसने तीनों ज़िलों के डेटा एंट्री स्टाफ्स से इस सिलसिले में पड़ताल की तो स्टाफ्स का यही कहना था कि चूंकि टेस्ट कराने वाले लोगों के पास फोन नंबर नहीं थे, लिहाज़ा डेटा को फिल करने के लिए उनके नंबर के तौर पर दस ज़ीरो की संख्या वाले नंबर दर्ज किए गए हैं। लेकिन शहरी इलाकों में लोगों के पास अपने फोन नहीं हो यह अपने आप में स्वीकार्य करने योग्य बात नहीं है। अगर लोगों के पास फोन नंबर नहीं हैं तो ऐसी स्थिति में उनके रिश्तेदारों के फोन नंबर दर्ज किए जा सकते थे। लेकिन ऐसा करने की जहमत नहीं उठाई गई। 

कोरोना टेस्टिंग के आंकड़े में फर्जीवाड़ा करने की यह इकलौती बानगी नहीं है। रिकॉर्ड्स में कथित तौर पर कोरोना टेस्ट कराने वाले लोगों के ऐसे फोन नंबर भी दर्ज हैं जो कोरोना टेस्ट कराने वाले लोगों के फोन नंबर से मेल ही नहीं खाते। अर्थात लोगों के गलत नंबर भी रिकॉर्ड्स में दर्ज किए गए हैं। विभिन्न मीडिया संस्थानों ने रिकॉर्ड के आधार पर कथित तौर पर कोरोना टेस्ट कराने वाले लोगों से जब बात की तो यह बात निकलकर सामने आई कि वे कभी कोरोना की जांच करवाने कहीं गए ही नहीं। इतना ही नहीं रिकॉर्ड्स में कई ऐसे लोग भी हैं जिनके नाम के आगे एक ही फोन नंबर भी दर्ज है। 

बिहार में कोरोना के आंकड़े में फर्जीवाड़ा का मामला उजागर होने पर विपक्ष ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने ट्विटर हैंडल पर नीतीश सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि, 'मैंने पहले ही बिहार में कोरोना घोटाले की भविष्यवाणी की थी। जब हमने घोटाले का डेटा सार्वजनिक किया था तो CM ने हमेशा की तरह नकार दिया।इन्होंने अधिकारी बदल Anti-gen का वो “अमृत” मंथन किया कि 7 दिनों में प्रतिदिन टेस्ट का आंकड़ा 10 हज़ार से 1 लाख और 25 दिनों में 2 लाख पार करा दिया।'